Today Breaking News

गाजीपुर: गंगा की विभीषिका से अब थर्राने लगा है जनपद गाजीपुर

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर गंगा की विभीषिका से जनपद थर्राने लगा है। शनिवार को भी गंगा का जलस्तर बढ़ने का सिलसिला आधा सेमी प्रति घंटा बना रहा। दोपहर दो बजे तक गंगा का जलस्तर 64.390 मीटर रिकार्ड किया गया। अब तक सैकड़ों गांव से प्रभावित हो चुके हैं कई दर्जन तो चारों तरफ से बाढ़ से घिर गए हैं। तटवर्ती इलाकों के सिवानों को पार कर गंगा अब अन्य गांवों में घुसने को बेताब हो रही हैं। सिवानों से अपने गांव में ठिकाना लिए लोग अब अगले ठिकाने की तलाश करना शुरू कर दिए हैं। मुहम्मदाबाद के सेमरा में करीब दो दर्जन परिवार शरणालय में शरण लिए हुए हैं। हालांकि जिला प्रशासन ने खाद्य सामग्री का वितरण किया है लेकिन गंगा की भयावाहता को देखते हुए उनके हाथ-पांव फूल रहे हैं।

वर्ष 2013 में आई बाढ़ के चलते सेमरा एवं शिवराय का पूरा के करीब पांच सौ परिवारों की कृषि योग्य भूमि एवं आवास कटान के चलते गंगा में समाहित हो गए थे। इसके बाद अधिकतर लोगों ने अपने आवास वहां से हट कर अपने खर्च पर बनवा लिए थे लेकिन करीब दो दर्जन परिवार ऐसे हैं जो प्राथमिक विद्यालय के आसपास झोपड़ी डाल कर रहते हैं। वहां पर हर वर्ष बाढ़ आने के बाद उनकी झोपड़ी डूब जाती है जिसके चलते उनको वहां प्राथमिक विद्यालय में बने शरणालय में शरण लेने को मजबूर होना पड़ता है। इस बार भी वे इसी समस्या से जूझ रहे हैं। हर बार इस त्रासदी से जूझ रहे लोगों को इस समस्या से निजात मिलती नहीं दिख रही है। जब-जब बाढ़ आती है इस दर्द से उन्हें दो-चार होना पड़ता है। साथ ही बाढ़ के पानी में आए सांप-बिच्छू आदि विषैले जंतुओं से अपने मासूमों की सुरक्षा करनी पड़ती है। इसी प्रकार जमानियां, रेवतीपुर, खानपुर आदि क्षेत्रों में कई गांव ऐसे हैं जो बाढ़ के पानी से घिर जाते हैं।

मलसा : क्षेत्र में गंगा नदी के जलस्तर में बढ़ाव के कारण अब परिस्थितियां विपरीत होती जा रही हैं। ग्राम पाह सैयद राजा, देवरिया, सब्बलपुर कला, जीवपुर, ताजपुर, मतसा, भगीरथपुर आदि गांव के बांड़ निवासी अब अपने पशुओं सहित सुरक्षित स्थान पर पहुंच रहे हैं लेकिन आगे आने वाले दिनों में पशुओं के लिए चारा की आवश्यकता पड़ेगी, इसके बाद शरणाíथयों को खाद्यान की भी जरूरत पड़ेगी।

गहमर : गंगा के दबाव से कर्मनाशा भी उफान पर है। विगत दिनों से गंगा के जल स्तर में बढ़ोतरी होने से सहायक नदियां भी उफान पर हो गई है। कर्मनाशा नदी भी लबालब हो गई है। अगर पानी की तीव्रता बढ़ती है तो कर्मनाशा की तटवर्ती गांव देवल, सायर, रायसेनपुर, भतौरा, लहना, बरेंजी, मगरखाई गांव मे तबाही मच सकती है। पिछले बुधवार को मनिहर वन मनभद्र बाबा स्थित राजभर व बिन्द मल्लाह बस्ती में पानी समा गया है जिससे लोगों का ठौर-ठिकाना बदलने लगा है। वहीं बस्ती के सतेंद्र चौधरी, महेंद्र, गामा, गनेश राजभर, धर्मेंद्र, तुलसी, गुड्डू रामू सुबास, कांता, सवारु, जोगिदर, धिरीज, रमाशंकर, रामबचन, उमाशंकर की झोपडियां पूरी तरह पानी में डूब गई हैं।

जमानियां : नगर का बलुआ घाट भी पूरी तरह जलमग्न हो गया पानी घाट सहित रामलीला मैदान में भर जाने से शवदाह स्थल भी पूरी तरह डूब गया है। ऐसे में शव का अंतिम संस्कार करने के लिए पहुंच रहे लोगों को वापस लौटना पड़ रहा है। शव का अंतिम संस्कार बड़ेसर गांव के दैत्रवीर बाबा स्थान के पास शवों का अंतिम संस्कार प्रतिदिन किया जा रहा है। रात के पहर प्रकाश की व्यवस्था नहीं होने से लोगों को और परेशान होना पड़ रहा है।

बाढ़ में फंसे पशुओं को निकाला
खानपुर : बाढ़ प्रभावित पटना गांव से डेढ़ किलोमीटर दक्षिण और हथौड़ा गांव से तीन किलोमीटर पूरब की ओर बाढ़ के टापू पर दो दर्जन गाय और पशु फंस गए थे जिसे ग्रामीणों की मदद से निकाल लिया है। दरअसल दो तरफ से गंगा और दो ओर से गोमती के बाढ़ ने उस टापू रूपी वन को चारों तरफ से घेर लिया है। टापू के चारों ओर दस से बीस फीट गहराई तक बाढ़ का पानी भरा हुआ है। शनिवार को वहां पहुंचे कुछ पशुपालकों ने वहां फंसे पशुओं को कुछ हरा चारा उपलब्ध कराया और उन्हें सकुशल बाहर निकालने की जुगत में लग गए। काफी मशक्कत के बाद शाम को उनको सकुशल निकाल लिया गया।

बाढ़ से कई लाख रुपये की सब्जी की खेती बर्बाद
मुहम्मदाबाद : बाढ़ का पानी सेमरा गांव के पश्चिम मोड़ के पास शाहनिदा मार्ग बहने लगा है। इससे लोगों को जोखिम लेकर आवागमन करना पड़ रहा है। बाढ़ के पानी से सब्जी की खेती में लगे लोगों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। पानी में डूबकर खेती बर्बाद हो रही है। बाढ़ के पानी से खेत में लगे पौधों को बचाने के लिए शेरपुर कुंडेसर के बीच सिवान में लोग जेसीबी से खेत की मेढ़ों को मिट्टी डालकर ऊंचा करते रहे। बाढ़ से सबसे अधिक परेशानी शेरपुर के बांड़ इलाके के नरदह, मुबारकपुर, पचासी डेढ़ सौ, जलालपुर आदि जगहों पर बस्ती बनाकर रहने वाले लोगों को है। शेरपुर गांव के कई मोहल्लों में पानी घुस चुका है। लोगों को आने जाने का मुख्य रास्ता बंद हो चुका है। इन जगहों पर नाव की व्यवस्था न होने से लोग परेशान हैं। खंड विकास अधिकारी सुशील सिंह ने सेमरा व शिवरायकापुरा जाकर वहां के हालात का जायजा लिए।

बंधा टूटने से मिली राहत
मुहम्मदाबाद : इस बार बाढ़ के चलते जहां बलिया जनपद में टूटे बंधे ने उन इलाकों में काफी तबाही मचाई है। विगत चार दशक पूर्व आई बाढ़ से जलस्तर करीब सवा मीटर ऊपर होने के बावजूद बंधा टूटने से इलाके में बाढ़ का प्रकोप कम हो गया है। आंकड़े पर अगर नजर डालें तो इस वर्ष गंगा का पानी एक मीटर से अधिक बढ़ चुका है लेकिन इलाके में गंगा का कहर अभी उस तरह का नहीं दिख रहा है जैसा कि वर्ष 1978 या 2013 में देखने को मिला था। इलाके में जब भी बाढ़ की चर्चा हो रही है तो लोग बलिया में टूटे बंधे से तेजी से पानी खिचाव की बात कर तबाही न होने को लेकर संतोष है।

सिचाई विभाग की ओर से कराया गया ड्रोन सर्वे
मुहम्मदाबाद : बाढ़ को देखते हुए सिचाई विभा ग देवकली पंप नहर की ओर से शुक्रवार को तटवर्ती क्षेत्रों का ड्रोन सर्वे कराकर जलस्तर की जानकारी ली गई। विभाग के अवर अभियंता शमशेर बहादुर सिंह गंगा तट पर पहुंचकर शेरपुर से लेकर शिवरायकापुराए सेमरा आदि का ड्रोन कैमरे से रिकाíडंग कराया। इस दौरान यह देखा गया कि किनारे बनाए गए ठोकर के ऊपर से तो पानी नहीं बह रहा है। उन्होंने बताया कि इससे जलस्तर ऊंचा होने का आंकलन हो रहा है ताकि आने वाले समय में किसी भी परियोजना को पूर्ण करने में इस ऊंचाई का ध्यान रखा जा सके।

राहत सामग्री का वितरण
गाजीपुर : शम्मे हुसैनी ट्रामा सेंटर व पैरा मेडिकल कॉलेज व हॉस्पिटल रौजा शाह बरखुरदार की ओर से बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए स्वास्थ्य शिविर और खाने के पैकेट का वितरण किया गया। इस मौके पर खाने के पैकेट के साथ दवाईयों का वितरण किया गया। संस्था के निदेशक डा. शादाब सिद्दीकी ने कहा कि बाढ़ की विभीषिका से कई गांव ग्रसित हो गए हैं। इसको देखते हुए संस्था ने इस गांव में निशुल्क राहत शिविर लगाया है। इस मौके पर निदेशक डा. मोहसिन सिद्दीकी, साकिब सिद्दीकी, रविन्द्र श्रीवास्तव, डा. अनिता विश्वकर्मा आदि थे।
'