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गाजीपुर: श्रीराम के जीवन आदर्शो से हमें लेनी चाहिए प्रेरणा- पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सुखदेव राजभर

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर बेसो नदी के रमणीय तट पर विद्यमान सिद्धपीठ हथियाराम मठ में सावन प्रतिपदा से चल रहे चातुर्मास की भाद्र पद पूर्णिमा पर शनिवार को पूर्णाहुति हुई। महंत महामण्डलेश्वर स्वामी भवानीनंदन यतिजी महाराज के चातुर्मास महायज्ञ में स्वजनपद समेत देश के कोने-कोने से आये हजारों शिष्य-श्रद्धालुओं ने हवन-पूजन के साथ ही संत-महात्माओं की प्रवचन रूपी सरिता का रसपान किया। प्रदेश की बसपा सरकार के शासनकाल में विधानसभा अध्यक्ष रहे सुखदेव राजभर ने बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति के संवाहक रहे मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जीवन आदर्शों से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए। भारतीय सभ्यता व संस्कृति वसुधैव कुटुंबकम का भाव सिखाती है। 

एक तरफ जहां दुनिया के सभी धर्म जियो और जियो दो के सूत्र पर कार्य करते हैं, वहीं एकमात्र हिंदू धर्म ही ऐसा है जो सर्वे भवंतु सुखिन: पर विश्वास रखता है। हम महिलाओं को बराबरी का स्थान ही नहीं देते बल्कि उन्हें अपने समाज में सर्वोच्च स्थान भी प्रदान करते हैं। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष ने सिद्धपीठ को नमन करते हुए कहा कि ऐसे में सिद्ध संतो, धार्मिक नीतियों-परंपराओं व विद्यालय ही सशक्त नागरिक का निर्माण कर सकते हैं। अध्यक्षता कर रहे महामंडलेश्वर परेशानन्द यति ने कहा कि ज्ञान विज्ञान भारत की ही देन है। प्रधान यजमान एवं जंगीपुर विधायक डॉ. वीरेन्द्र यादव ने कहा कि गुरुओं के बताए मार्ग पर चलने से ही हमारा कल्याण व मन की शांति संभव है। बलिया के पूर्व विधायक रामइकबाल सिंह ने कहा कि संपूर्ण जगत ईश्वर की रचना है। 

उन्होंने कहा कि देश के संतो गुरुओं ने दुनिया को रास्ता दिखाने का काम किया है। भारत को कभी द्रोणाचार्य तो कभी चाणक्य जैसे गुरुओ ने अर्जुन और चंद्रगुप्त जैसे नायको का निर्माण करने का कार्य किया। साधु संतों के बताए मार्ग पर चलने से सदैव कल्याण का मार्ग प्रशस्त होता है। सिद्धपीठ के पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर भवानीनन्दन यति जी महाराज ने ब्रह्मलीन गुरुजी महामंडलेश्वर स्वामी बालकृष्ण यतिजी को श्रद्धांजलि अर्पित किया। उन्होंने दो माह तक अनवरत चले चातुर्मास की महत्ता पर विस्तार से प्रकाश डालने के साथ ही इसमें सहयोग देने वालों के प्रति आभार जताया। इस दौरान देर शाम तक लोगों ने भंडारा प्रसाद ग्रहण किया। इस मौके पर सन्त सत्यानन्द यति, डा. रत्नाकर त्रिपाठी, सन्त देवरहा बाबा, डॉ. सुरेंद्र सिंह, केडी सिंह, हरिश्चन्द्र सिंह, प्रभुनाथ दुबे, विभा यादव, अमिता दूबे, लौटू आदि रहे।

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