गाजीपुर एमएलसी चुनावः सपा में बगावत का खतरा!
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर विधान परिषद के स्नातक क्षेत्र के चुनाव को लेकर सपा भी गंभीर हो गई है, लेकिन संकेत यही मिल रहा है कि वाराणसी सीट पर भाजपा की चुनौती का जवाब देना उसके लिए सहज नहीं रहेगा। बल्कि उसे अपने घर में ही बड़ी चुनौती मिल सकती है।
वाराणसी सहित प्रदेश की चार सीटों के लिए सपा अपने उम्मीदवारोंं का शनिवार को ऐलान कर दी। पार्टी वाराणसी सीट पर अपने वरिष्ठ नेता और बीएचयू छात्रसंघ के पूर्व महामंत्री सूबेदार सिंह पर दोबारा दांव लगाने के बजाय युवा नेता आशुतोष सिन्हा को टिकट दी है। उधर सूबेदार सिंह पहले ही दोबारा चुनाव लड़ने की बात कह चुके हैं। जाहिर है कि अगर सूबेदार सिंह को चुनाव मैदान में उतरने से सपा रोक नहीं पाई तो फिर उसके लिए दिक्कत हो सकती है। सूबेदार सिंह का वाराणसी के अलावा चंदौली तथा गाजीपुर में खासा प्रभाव माना जाता है।
एमएलसी के इस चुनाव की गतिविधियों पर नजर रखने वालों की मानी जाए तो सपा वाराणसी सीट पर आशुतोष सिन्हा को टिकट देकर यह साफ कर दी है कि उसे राजपूत के बजाय कायस्थ समाज के वोटर पर ज्यादा भरोसा है। इसकी मुख्य वजह मौजूदा एमएलसी भाजपा के केदारनाथ सिंह हैं। वाराणसी सीट के लिए भाजपा की तैयारियों से लगभग तय है कि वह केदारनाथ सिंह पर ही फिर दांव लगाएगी। पिछले चुनाव में राजपूत वोटरों का बहुमत सपा के सूबेदार सिंह की जगह केदारनाथ सिंह के ही पक्ष में गया था।
वाराणसी शहर के रहने वाले आशुतोष सिन्हा का अपने कायस्थ समाज में अच्छा प्रभाव है। कायस्थ महासभा की युवा इकाई के वह प्रदेश अध्यक्ष हैं। सपा में भी आशुतोष सिन्हा अपने परिचय के मोहताज नहीं हैं। वह समाजवादी छात्रसभा के राष्ट्रीय सचिव हैं। सपा मुखिया अखिलेश यादव के करीब माने जाते हैं। छात्र राजनीति से ही जनराजनीति में आए हैं। वाराणसी के हरिश्चंद्र कॉलेज छात्रसंघ के उपाध्यक्ष रह चुके हैं। बीएससी के साथ ही लॉ की भी इन्होंने डिग्री ली है।
एमएलसी का यह चुनाव अगले साल मार्च में संभावित है। इसके लिए प्रमुख दलों सहित संभावित उम्मीदवार वोटर बनाने की तैयारी में जुट गए हैं। पिछले चुनाव में अकेले गाजीपुर में ही करीब 34 हजार वोटर थे। वोटर के लिए न्यूनतम स्नातक की डिग्री जरूरी है। वाराणसी निर्वाचन क्षेत्र में कुल आठ जिले समाहित हैं। इनमें गाजीपुर के अलावा बलिया, वाराणसी, चंदौली, जौनपुर, भदोही, मीरजापुर तथा सोनभद्र है।