गाजीपुर: बाहुबली एमएलसी बृजेश सिंह की प्लानिंग में रोड़ा बना वाराणसी प्रशासन!
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर माफिया डॉन से राजनेता बने एमएलसी बृजेश सिंह कुछ भी करें, वह सुर्खियां बन ही जाता है। बीते मंगलवार को उन्होंने वाराणसी में एक दिवंगत धन्ना सेठ राय श्रीकृष्ण की बेटी पुष्पलता के श्राद्धकर्म में ब्रह्मभोज किया। उसमें उनकी ओर से हजारों निमंत्रण कार्ड बांटे गए। कई नामी गिरामी चेहरे पहुंचे भी। बताया जा रहा है कि उस कार्यक्रम में बृजेश सिंह की ससुराल गाजीपुर के बरुइन(जमानियां) से भी लोग शामिल हुए थे।
जाहिर है कि बृजेश सिंह का यह कार्यक्रम भी राजनीतिक हलका सहित अंडरवर्ल्ड में खूब सुर्खियां बटोर रहा है। ऐसा हो भी क्यों नहीं। एक तो जिस महिला पुष्पलता का उन्होंने ब्रह्मभोज किया, वह नात-रिश्तेदार तो दूर वह उनकी बिरादरी की भी नहीं थीं। बल्कि अग्रवाल परिवार से थीं। फिर ब्रह्मभोज का कार्यक्रम जहां रखा गया था, वह वही बागीचा रहा, जो उसी अग्रवाल परिवार का माना जाता है। पूरे 20 बीघे के क्षेत्रफल में पसरा यह बागीचा वाराणसी शहर के पांडेयपुर इलाके में राय साहब के बागीचे के नाम से जाना जाता है। एक बात यह भी गौर करने की रही कि पुष्पलता का निधन बीते पांच सितंबर को हुआ था और बृजेश सिंह उनका ब्रह्मभोज 20 दिन बाद किए।
तब यह भी इत्तेफाक नहीं कहा जाएगा कि ब्रह्मभोज के साथ ही उस बागीचे की चाहरदीवारी का निर्माण कार्य शुरू हो गया, लेकिन वाराणसी प्रशासन ने मौके पर पुलिस फोर्स भेजकर बलपूर्वक उस निर्माण कार्य को रुकवा दिया। यही नहीं बल्कि दूसरे दिन बुधवार को दोबारा पुलिस फोर्स मौके पर पहुंची और निर्माण सामग्री वगैरह जब्त कर ली। दरअसल वह बागीचा अर्बन सीलिंग के तहत सरकार के कब्जे में आ चुका है। संभवतः उसी वजह से वाराणसी प्रशासन ने वह कार्रवाई की। उसके पूर्व वाराणसी प्रशासन ने हलका लेखपाल को निलंबित कर दिया था। उस पर आरोप था कि उसने कुछ लोगों को निजी लाभ पहुंचाने के लिए उस बागीचे के दस्तावेज में हेरफेर किया। उस बागीचे की भूमि की कीमत बाजार के हिसाब से लाख, करोड़ में नहीं बल्कि करीब सात अरब में आंकी जा रही है।
अब सवाल है कि इस मामले में बाहुबली एमएलसी बृजेश सिंह का क्या कनेक्शन है। इसका जवाब वाराणसी से प्रकाशित एक प्रमुख सांध्य दैनिक अखबार की रिपोर्ट से मिलता है। हालांकि उस रिपोर्ट में बृजेश सिंह और उस मामले से जुड़े किसी और व्यक्ति का नाम नहीं है, लेकिन रिपोर्ट की मानी जाए तो उस बागीचे की भूमि के कुछ हिस्से का अनुबंध बृजेश सिंह से जुड़े लोगों ने करा लिया है। बागीचे के असल मालिक राय कृष्ण की तीन बेटियां थीं। किन्हीं कारणों से उनमें दो के बजाय उन्होंने पुष्पलता को अपना वारिस बनाया। उनके निधन के बाद अन्य दोनों बेटियां अपने पिता की संपत्ति पर हक जताते हुए उसके लिए कोर्ट में दावा ठोक दीं। वह मामला अभी कोर्ट में विचाराधीन है। इसी बीच बृजेश सिंह एंड कंपनी ने उन दोनों बेटियों में से एक स्नेहलता से बागीचे की भूमि के कुछ हिस्से का अनुबंध अपने नाम करा लिया।
इस पूरे प्रकरण में एक और नाम आया है। यह नाम है सपा के महाराष्ट्र के प्रदेश अध्यक्ष अबु आजमी का। इस सिलसिले में अबु आजमी वाराणसी सेंट्रल जेल में पहुंच कर वहां निरुद्ध एमएलसी बृजेश सिंह से मंत्रणा किए थे। यह बात पुष्पलता के श्राद्ध कर्म से ठीक एक दिन पहले की बताई जा रही है। बृजेश सिंह और अबु आजमी की उस मुलाकात को लेकर अंडरवर्ल्ड में फुसफुसाहट शुरू हो गई है। अबु आजमी बृजेश सिंह के जानी दुश्मन बाहुबली मऊ विधायक मुख्तार के कभी करीबी माने जाते रहे हैं।