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गाजीपुर: इमाम हुसैन ने दिया प्रेम और इंसानियत का संदेश

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में माह-ए-मुहर्रम की दूसरे दिन सोमवार को मजलिस व मातम का सिलसिला जारी रहा । लोग पूरे दिन इमामबाड़ों में जाकर मजलिस कर कर्बला के शहीदों को याद करते रहे। काले कपड़ों में उनकी भी भारी भीड़ मजलिसों में हिस्सा ले रही है।

नगर के नखास स्थित इमामबाड़ा मीर अली हुसैन में एक मजलिस का आयोजन किया जिसे मौलाना तनवीरूल हसन ने खिताब फरमाया। उन्होंने कहा कि इमाम हुसैन ने पूरा जीवन प्रेम और इंसानियत का संदेश दिया। इसके बाद उन्होंने शहीदों की शहादत बयान की जिसे सुनकर लोगों की आंखें नम हो गईं। वहीं नोनहरा के हुसैनपुर गांव में खुर्शीद गाजीपुरी के अजाखाने पर मजलिस का आयोजन किया गया जिसमें मौलाना ने कर्बला के शहीदों की प्यास का जिक्र किया।

अधर्म पर धर्म की जीत का प्रतीक है मुहर्रम का दिन
खानपुर : एसपी सिटी प्रदीप दुबे ने रविवार की शाम सभी ताजिया केंद्रों का दौरा कर उनके जुलूस मार्ग का भी अवलोकन किया। दरवेपुर में मार्ग बदलने को लेकर चल रहे विवाद पर उन्होंने कहा कि मुहर्रम जुलूस के किसी भी मार्ग में कोई फेरबदल नहीं की जाएगी। शांति पूर्व और बगैर डीजे के सामाजिक सद्भाव के साथ लोग अपने पुराने मार्ग से ही ताजिया यात्रा करें। रामपुर के हाजी अजीज कहते है कि मुहर्रम का दिन अधर्म पर धर्म की जीत का प्रतीक है। इस्लाम का पहला पर्व मुहर्रम मातम मनाने और धर्म की रक्षा करने वाले हजरत इमाम हुसैन की शहादत को याद करने का दिन होता है। इसलिए मुहर्रम के महीने में मुसलमान शोक मनाते हैं। बादशाह जालिम यजीद ने अपनी सत्ता कायम करने के लिए हुसैन और उनके परिवार के लोगों और दोस्तों पर जुल्म किया और मुहर्रम के 10वें दिन उन्हें मौत के घाट उतार दिया। हुसैन का मकसद इस्लाम और इंसानियत को जिदा रखना था।
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