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गाजीपुर: सरकार दे ध्यान तो सैदपुर में बनेगा भव्य पर्यटक स्थल

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर सैदपुर तहसील क्षेत्र का एक मात्र पर्यटन स्थल सम्राट स्कंद गुप्त का विजय स्तंभ, खुदाई में मिले अवशेष व तत्कालीन जिलाधिकारी राजन शुक्ला द्वारा बनवाया गया पार्क बरबस ही लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर लेता है लेकिन देखरेख के अभाव में अपने आकर्षण को खो रहा है। प्रकाश की व्यवस्था न होते ही शाम होते ही अंधेरा छा जाता है। 

खोदाई के बाद निकले अवशेष में आसपास के लोग बकरियां चराते हैं। बड़े-बड़े घास उग आए हैं। बकरियों व मवेशियों द्वारा गंदगी कर दी जाती है। स्कंद गुप्त के स्तंभ का ऊपरी हिस्सा वर्षों पहले क्षतिग्रस्त हो गया था जिसे अब तक ठीक नहीं कराया गया। स्तंभ दिन पर दिन झुकता जा रहा है। पेयजल की यहां कोई व्यवस्था नहीं है। चौकीदार की पर्याप्त व्यवस्था न होने से रख-रखाव नहीं हो पाता है। इससे लोग अब यहां आने से परहेज करने लगे हैं। आम जनता को दूर विभागीय अधिकारी या जनप्रतिनिधि भी यहां नहीं आते हैं। इसकी वजह से यह ऐतिहासिक स्थल विकसित नहीं हो पा रहा है। बुनियादी सुविधाओं के अभाव व विभागीय उदासीनता के चलते इस अहम स्थान की तरफ लोग उन्मुख नहीं हो पा रहे हैं।

तत्कालीन जिलाधिकारी ने बनवाया था पार्क
तत्कालीन जिलाधिकारी राजन शुक्ल को साहित्य व एतिहासिक धरोहरों से बड़ा लगाव था। जब वह जिले में डीएम थे तो भितरी आए और गुप्तकाल के इस गवाह को उन्होंने करीब से देखा। उन्होंने कई बार यहां का दौरा किया और स्तंभ के ठीक सामने सामाजिक वानिकी प्रभाग द्वारा वर्ष 1998-99 में पार्क की स्थापना कराई। पार्क में झूला, बेंच के अलावा एक गोलंबर व स्तंभ बनाकर अशोक चक्र लगवाया। उन्होंने स्तंभ के नीचे गुप्त कालीन इतिहास के स्वर्ण युग का बोध कराने से संबंधित स्कंदगुप्त के इतिहास का आंशिक बोध शिलापट्ट के माध्यम से कराया है।

गुप्तकालीन साम्राज्य के स्वर्ण युग का गवाह
भितरी गांव स्थित स्कंदगुप्त का विजय स्तंभ गुप्त कालीन साम्राज्य के स्वर्ण युग का गवाह है। स्तंभ के इतिहास पर गौर करें तो प्रारंभिक दिनों में गुप्त शासक स्कंदगुप्त को विदेशी अतिक्रमणकारियों खासकर हुणों का सामना करना पड़ता था। हूणों को परास्त कर स्कंदगुप्त ने गाजीपुर के सैदपुर भितरी में विजय स्तंभ का निर्माण करवाया था। स्कंदगुप्त के हुणों पर विजय का गवाह है। 

गुप्त साम्राज्य का उदय तीसरी सदी के अंत में प्रयाग के निकट कौशांबी में हुआ था इसलिए मुख्य कार्यक्षेत्र उत्तर प्रदेश व बिहार था। यहीं पर अधिकांश अभिलेख मिलते हैं। हुणों ने जब आक्रमण किया तो स्कंद गुप्त ने बहादुरी से सामना किया और मध्य एशिया से आए हुणों को हराकर इतिहास में अपना नाम दर्ज कराया। उसी समय उन्होंने सम्राट स्कंद गुप्त ने भितरी में विजय स्तंभ का निर्माण करवाया था। स्तंभ की बनावट से प्रतीत होता है कि यह किले के अंदर रहा होगा लेकिन किला ढह जाने के कारण वर्तमान में खुले आकाश के नीचे आ गया है। 1860 से अब तक सात बार इस स्थान की खुदाई हुई है। प्राचीन कालीन मूíतयां मिली थी जो देश के विभिन्न संग्रहालयों में रखी गई है।

सामाजिक कार्यकर्ता ने कई बार लिखा पत्र
भितरी निवासी सामाजिक कार्यकर्ता व भाजपा के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के जिला उपाध्यक्ष सनाउल्लाह खां उर्फ शन्ने ने देश के पीएम व सीएम सहित आला अधिकारियों व पुरातत्व विभाग को दस दिवसीय मांग पत्र भेजा है। उन्होंने जनसूचना अधिकार के तहत कई बार सूचनाएं भी मांगी है। उन्होंने गांव के लोगों के साथ मिलकर कई बार सफाई भी की लेकिन अब तक कुछ नहीं हो सका है। उन्होंने दस सूत्रीय मांगपत्र में स्तंभ के पास आडिटोरियम के साथ यहां पेयजल, रोशनी समेत अन्य सुविधाओं को मुहैया कराने की मांग की है। 

पहले आते थे लोग
जब हम लोगों का बचपन था तो वहां खेलने के लिए जाते थे, तब लोगों की भीड़ लगती थी। दूर-दराज से लोग यहां घूमने के लिए आते थे। बहुत से लोग कैमरा आदि लेकर आते थे और फोटो भी खींचते थे लेकिन अब ऐसा कुछ नहीं है।

कई बार लिखा पत्र
विजय स्तंभ व पार्क के सुंदरीकरण के साथ ही यहां अन्य विकास के लिए कई बार पत्र लिखा लेकिन सुध नहीं ली गई। दस सूत्रीय मांग शासन से की गई है अगर पूरी हो जाती तो काफी अच्छा हो जाता।

सैदपुर से आटो से पहुंच सकते हैं लोग
सैदपुर बस स्टैंड से आटो के द्वारा लोग यहां कुछ मिनटों में ही पहुंच सकते हैं। वापसी के लिए गाजीपुर की तरफ जाने वाले लोग देवकली ब्लाक पर व वाराणसी जाने वाले लोग सैदपुर की तरफ आ सकते हैं।
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