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गाजीपुर: शासन की लाख सख्ती के बाद भी मनमाने ढंग से आफिस आ रहे हैं कर्मचारी

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर शासन की लाख सख्ती के बाद भी कर्मचारी अधिकारी सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं। वे मनमाने ढंग से कार्यालय आ रहे हैं और जब मर्जी चले जा रहे हैं। दस बजे लेट नहीं, 12 बजे भेंट नहीं की कहावत चरितार्थ हो रही है विकास भवन स्थित कई कार्यालयों में। मंगलवार को जागरण टीम ने जायजा लिया तो पूरी पोल खुल गई। अधिकारी तो छोड़िए कर्मचारी भी नहीं मिले। इसे देखने से तो ऐसा ही लग रहा है कि उन्हें किसी का भय नहीं है।

सबसे पहले सुबह 10.10 मिनट पर टीम समाज कल्याण अधिकारी जितेंद्र मोहन शुक्ला के कार्यालय में पहुंची तो कुर्सी खाली थी। चपरासी से पूछने पर पता चला कि साहब अभी आए ही नहीं हैं। ठीक इसी कार्यालय के सामने ग्रामीण अभियंत्रण विभाग का कार्यालय है। इसमें तीन कर्मचारी अपनी कुíसयों पर बैठे थे, जबकि ज्यादातर कुíसयां खाली थीं। इतना ही नहीं मुख्य पशु चिकित्साधिकारी अधिकारी के कार्यालय में महज एक बाबू ही आया था। एक अन्य व्यक्ति खड़े होकर मोबाइल पर बात कर रहा था। सहायक आयुक्त दिव्यांजन नरेंद्र विश्वकर्मा का कक्ष में तो 11:30 तक बंद रहा। सबसे ज्यादा खराब स्थिति सहकारिता विभाग की थी। दर्जन भर कुíसयां लगी थीं मगर कर्मचारी दो ही थे। अब ऐसे में सवाल यह है कि हर माह मोटी तनख्वाह लेने वाले कर्मचारी व अधिकारियों की मनमानी पर कैसे अंकुश लगे। क्या उन्हें पूछने वाला कोई नहीं है।


भटकते रहे फरियादी
मुख्य पशु चिकित्साधिकारी कार्यालय में किसी काम से आए मुहम्मदाबाद क्षेत्र के रमेश ने बताया कि दो-तीन दिनों से कार्यालय का चक्कर काट रहा हूं। कभी साहब नहीं तो कभी बाबू नहीं। समझ में नहीं आ रहा है कि किससे अपनी पीड़ा सुनाऊं।

बाइक खड़ी करते ही लग गई चाय की तलब
विकास भवन के जायजा के दौरान टीम के सदस्यों ने देखा कि कई विभाग के कर्मचारी कार्यालय देर से पहुंचे और बाइक खड़ी करने के बाद सीधे चाय की दुकान पर चले गए। यहां चाय की चुस्की के साथ गपशप लड़ाकर फिर आफिस आए।

बीएसए कार्यालय में भी खाली थी अधिकतर कुíसयां
बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय की 11 बजे तक ज्यादातर कुíसयां खाली थीं। खुद बीएसए भी नहीं मौजूद थे। पूछने पर पता चला कि कहीं क्षेत्र में निकले होंगे या फिर महुआबाग स्थित कार्यालय में होंगे। कुछ ऐसा ही हाल जिला विद्यालय निरीक्षक के भी कार्यालय का था। यहां दो-तीन बाबू अपनी कुíसयां पर बैठकर काम निबटा रहे थे, जबकि अन्य गायब थे।
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