UPPCS 2018 Pre के प्रश्नों का विवाद भी पहुंचा हाईकोर्ट
गाजीपुर न्यूज़ टीम, उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की पीसीएस 2018 प्रारंभिक परीक्षा ( UPPCS Prelims 2018 ) के प्रश्न का विवाद भी हाईकोर्ट पहुंच गया है। प्रारंभिक परीक्षा में असफल हुए 17 परीक्षार्थियों ने याचिका दायर कर उन छह प्रश्नों को निरस्त करने की मांग की है, जिनके दो उत्तर विकल्पों को सही मानते हुए आयोग ने परिणाम जारी किया है।
इनकी मांग है कि इन प्रश्नों को निरस्त कर इसके अंक भी ठीक उसी तरह से दिए जाएं जैसे चार गलत प्रश्नों को हटाने के बाद प्रो रेटा फार्मूला के तहत सभी को दिए गए हैं। इस मांग के पीछे परीक्षार्थियों का ठोस तर्क भी है। परीक्षार्थियों का कहना है कि आयोग की प्रश्न पुस्तिका में साफ तौर पर लिखा है कि दिए गए चार विकल्पों में से केवल एक ही विकल्प सही है। यह भी अंकित है कि एक से अधिक विकल्प का उत्तर देने पर मूल्यांकन नहीं किया जाएगा एवं गलत उत्तर पर माइनस मार्किंग के तहत एक तिहाई अंक काटे जाएंगे। परीक्षार्थियों ने याचिका के जरिए कहा है कि यह तथ्य परस्पर विरोधी हैं।
यह याचिका पीसीएस प्री 201 के ऐसे परीक्षार्थियों ने दाखिल की है, जो एक या दो नंबर से असफल हुए हैं। इनमें एक महिला अभ्यर्थी भी शामिल है। परीक्षार्थियों के अधिवक्ता आलोक मिश्र का कहना है कि हाईकोर्ट के सामने सुप्रीम कोर्ट का एक केस भी रखा गया है, जिसमें कहा गया है कि अगर किसी प्रश्न के दो उत्तर विकल्प सही होते हैं तो उसे डिलीट किया जाए। अधिवक्ता आलोक मिश्र का कहना है कि हाईकोर्ट ने इस पर आयोग से जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई 19 अगस्त को संभावित है। बता दें कि पीसीएस प्री 2018 में पहली बार माइनस मार्किंग लागू की गई थी। इसलिए परीक्षार्थियों को इस बात का भय था कि दो सही उत्तर विकल्प वाले प्रश्न में से किसी एक विकल्प को सही मानने पर कहीं उसे गलत मानते हुए आयोग उनके एक तिहाई अंक की कटौती न कर ले।
पीसीएस में लगातार चौथी बार विवाद
आयोग की यह लगातार चौथी पीसीएस परीक्षा है जिसके प्रश्न और उत्तर का विवाद हाईकोर्ट पहुंचा है। इससे पूर्व पीसीएस 2015, 2016 और 2017 के प्रश्न और उत्तर का विवाद हाईकोर्ट पहुंचा था। परीक्षार्थियों की आपत्ति को सही मानते हुए हाईकोर्ट ने पीसीएस 2016 और 2017 में परिणाम संशोधित करने के आदेश भी दिए थे लेकिन दोनों ही मामलों में आयोग ने परिणाम संशोधित करने के बजाए सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की थी। वहां से राहत मिलने के बाद मुख्य परीक्षा कराई गई। पीसीएस 2016 का अंतिम परिणाम सुप्रीम कोर्ट की याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन घोषित किया गया है जबकि पीसीएस 2017 की प्रक्रिया अंतिम निर्णय के अधीन ही चल रही है।