गाजीपुर: मुख्तार अंसारी के प्रतिनिधि पर हमले के मामले में पूर्व सांसद धनंजय सिंह का कारखास सिपाही बर्खास्त
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर मऊ विधायक मुख्तार अंसारी के प्रतिनिधि और उसके भाई पर हमले के मामले में यूपी पुलिस के सिपाही आलोक सिंह को बर्खास्त कर दिया गया है। आलोक पूर्व सांसद धनंजय सिंह का बेहद करीबी माना जाता है।
मुख्तार अंसारी के प्रतिनिधि शाहिद जाफरी और उसके भाई असगर जाफरी नामवर पर बीते 30 जुलाई की शाम लखनऊ में हजरतगंज स्थित मिराज लाउंज के पास गोलियां बरसाई गई थीं। उस मामले में शाहिद ने धनंजय सिंह और आलोक सिंह के अलावा दो अज्ञात के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराया था। उसके बाद ही लखनऊ के एसएसपी कलानिधि नैथानी ने आलोक सिंह को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया है।
आलोक सिंह सालों पहले से धनंजय सिंह से जुड़ा है। है। पुलिस महकमे में उसकी छवि शुरू से दागदार रही है। पहले वह एसटीएफ की लखनऊ यूनिट का सिपाही था। अंडरवर्ल्ड से उसके करीबी रिश्ते थे। लिहाजा उसे एसटीएफ से हटा कर लखनऊ की क्राइम ब्रांच से संबद्ध कर दिया गया था। उसके बाद साल 2006 में लखनऊ के जेल रोड पर सोना लूटने की बड़ी वारदात हुई। उसमें आलोक का नाम आया। तब उसे बर्खास्त कर दिया गया, लेकिन हाई कोर्ट के आदेश पर वह बहाल हो गया। बावजूद आलोक सिंह की नाजायज गतिविधियां नहीं रुकीं। फिर उसका नाम लखनऊ में ही नाका में एक व्यापारी से पांच लाख रुपये की लूट समेत अन्य कई वारदातों में आया। लिहाजा आलोक सिंह को लाइन हाजिर कर दिया गया।
लखनऊ पुलिस लाइन में रहते वक्त ही आलोक सिंह की जौनपुर के पूर्व सांसद धनंजय सिंह से नजदीकियां बढ़ीं। उसके बाद वह धमंजय सिंह का खास आदमी बन गया और रीयल एस्टेट कारोबार व अन्य धंधों से करोड़ों रुपये कमाए। लखनऊ पुलिस मुख्तार अंसारी के प्रतिनिधि पर हमले की घटना को गैंगवार का नतीजा मान रही है। हमले में घायल मुख्तार अंसारी का प्रतिनिधि शाहिद जाफरी भी दूध का धुला नहीं है। हत्या के एक मामले में लखनऊ पुलिस को छह साल से उसकी तलाश थी। यहां तक कि उसके खिलाफ कुर्की तक की कार्रवाई हो चुकी थी। लखनऊ पुलिस उसे हिरासत में ले चुकी है। शाहिद लखनऊ का ही रहने वाला है।