गाजीपुर: अब्बास खुद नहीं छोड़े मैदान, पार्टी मुखिया का फैसला शिरोधार्यः अफजाल अंसारी
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर पहले उस सीट पर आम चुनाव में विपरीत हालात के बावजूद वह शानदार प्रदर्शन किया हो, उसके बाद वहां होने वाले उपचुनाव में उसे लड़ने का मौका ही नहीं दिया जाए तो बेशक राजनीतिक लिहाज से यह अटपटा लगेगा। तब यह सवाल भी स्वाभाविक हैं कि क्या उस पूर्व उम्मीदवार ने उप चुनाव लड़ने से खुद इन्कार कर दिया कि उसकी पार्टी ने उसे दोबारा लड़ने का मौका नहीं दिया।
जी हां! बिल्कुल! यह बात पड़ोसी जिला मऊ की घोसी विधानसभा सीट और बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी की हो रही है। साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में उस सीट पर बसपा अब्बास अंसारी को लड़ाई थी। तब भाजपा की लहर थी। भाजपा के साथ सुभासपा थी। राजभर बिरादरी सुभासपा का वोट बैंक मानी जाती है और घोसी में राजभरों का बड़ा पैकेट है। यही नहीं बल्कि उस चुनाव में भाजपा से फागु चौहान जैसा धाकड़ नेता उनसे मुकाबिल था। फागु चौहान उसके पहले भी कई बार घोसी से विधायक चुने गए थे। पिछड़े वर्ग के नेताओं में वह बड़ा चेहरा थे। कई बार प्रदेश सरकार में मंत्री रह चुके थे। कहा जा सकता है कि फागु चौहान के उस सियासी कद के आगे अब्बास व्यक्तिगत तौर पर कुछ नहीं थे।
एक तो कम दिन का उनका सियासी तजुर्बा था। फिर उनके लिए वह पहला चुनाव था। हां यह जरूर था कि उस वक्त अब्बास के पास अपने खानदान की बड़ी सियासी धरोहर थी। पिता मुख्तार अंसारी घोसी के बगल की मऊ सदर सीट से विधायक थे जबकि उनके दोनों बड़े पिता में सिबगतुल्लाह अंसारी भी गाजीपुर की मुहम्मदाबाद के विधायक थे और अफजाल अंसारी गाजीपुर के सांसद रह चुके थे। फिर मुख्तार और सिबगतुल्लाह भी अपनी सीटों पर चुनाव लड़ रहे थे और अफजाल को उनके चुनाव अभियान को भी देखना था। एक तरह से अब्बास अपने चुनाव अभियान की कमान खुद संभाले थे। बावजूद अब्बास ने चुनाव मैदान में फागु चौहान का पसीना छोड़ा दिया था। उन्हें कड़ी टक्कर दी थी। जब नतीजा आया था तब अब्बास महज करीब आठ हजार वोट से फागु चौहान से पीछे रह गए थे।
अब जबकि फागु चौहान बिहार के राज्यपाल हैं। उनके विधायक पद छोड़ने के बाद घोसी सीट पर अब्बास की पार्टी बसपा उप चुनाव की तैयारी शुरू हो चुकी है। वहां घोसी नगर निकाय के चेयरमैन कयूम अंसारी को उम्मीदवार घोषित कर दी है। क्या बसपा अब्बास का टिकट काटी है कि खुद अब्बास ने उप चुनाव लड़ने से इन्कार कर दिया है। इस सवाल पर सियासी हलके में चर्चा शुरू है। अंसारी परिवार की सियासी गतिविधियों पर नजर रखने वालों की मानी जाए तो बसपा में अंसारी परिवार का खासा असर है। उस दशा में अब्बास का उप चुनाव में टिकट कटने की बात बेमानी लगती है।
संभव हो कि अब्बास ने चाहे जो कारण हों, खुद ही लड़ने से मना कर दिया होगा। इस सवाल पर गाजीपुर न्यूज़ टीम सांसद अफजाल अंसारी से मुखातिब हुआ। उनका कहना था कि यह फैसला बसपा की मुखिया मायावती को करना है कि उप चुनाव में पार्टी का उम्मीदवार कौन होगा। जब मायावती ने घोसी सीट के उपचुनाव के लिए अब्बास अंसारी की जगह कयूम अंसारी को टिकट दिया है तो उनका फैसला शिरोधार्य है और उनकी जीत सुनिश्चित करने के लिए अंसारी परिवार पूरे दमखम से लगेगा।