गाजीपुर: कासिमाबाद तहसील में वादकारी और वकील भिड़े, हंगामा
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर तहसील कासिमाबाद में अधिवक्ताओं की हड़ताल के विरोध में वादाकारियों ने हंगामा कर दिया। तहसीलदार कोर्ट में जुटे वादकारियों ने आए दिन होने वाली हड़ताल को अवैध बताया और न्यायिक कार्य को सुचारू कराने की मांग की। इसके बाद वकील और अधिवक्ता आमने सामने आ गए।विवाद बढ़ता चला गया और हंगामा तेज। जानकारी पाकर पुलिस मौके पर पहुंची और मामले को शांत कराने का प्रयास किया। नारेबाजी कर रहे एक वादकारी को पुलिस ने हिरासत में ले लिया, वहीं अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष को अन्य वकीलों को लेकर चैंबर में जाने की अपील की।
तहसील न्यायालयों के संचालित नहीं होने से अधिवक्ताओं और वादकारियों के बीच गुरुवार को विवाद हो गया। अधिवक्ता कृष्णानंद राय उप जिलाधिकारी कोर्ट में जा रहे थे। वहां मौजूद राज नारायण तिवारी और उनके साथ कुछ अन्य लोग उन्हें कोर्ट में जाने से रोकने लगे और अधिवक्ताओं के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। वादकारी लामबंद होकर नारेबाजी करने लगे। यह सुनकर अधिवक्ता भी जमा होने लगे। देखते ही देखते वादी और अधिवक्ता आमने सामने आ गए और उनमें जुबानी झड़प शुरू हो गई। तनाव बढ़ता देख उपजिलाधिकारी ने पुलिस बुला ली। पुलिस ने राज नारायण तिवारी समेत एक और व्यक्ति को हिरासत में लिया और थाने ले गई।
इधर, राज नारायण तिवारी ने कासिमाबाद थाना में तहरीर देकर बताया कि अधिवक्ता जानबूझकर हड़ताल किया करते हैं। इससे वादकारियों को परेशानी उठानी पड़ती है। लामबंद होकर अधिवक्ताओं ने हमारे ऊपर हमला कर दिया। लातघूसे से भी मारा और धमकी भी दी है। प्रभारी थानाध्यक्ष कासिमाबाद ने बताया कि यह घटना एसडीएम कार्यालय परिसर में हुई है। उप जिलाधिकारी के निर्देशानुसार कार्रवाई की जाएगी।
वकीलों ने कहा काउंसिल के आह्नान पर थी हड़ताल
कासिमाबाद। अधिवक्ताओं ने बताया कि बार काउंसिल के अधिवक्ता हड़ताल पर थे। अधिवक्ता कृष्णानंद राय उप जिलाधिकारी कोर्ट में जा रहे थे। राज नारायण तिवारी और उनके साथ कुछ अन्य लोग उन्हें कोर्ट में जाने से रोकने लगे और अधिवक्ताओं के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। अधिवक्ताओं ने उप जिलाधिकारी को पत्रक सौंपते हुए आरोप लगाया कि न्यायिक कार्य में दलालों का हस्तक्षेप रहता है। राज नारायण तिवारी जैसे लोगों के एसडीएम कार्यालय में मौजूदगी से अधिवक्ताओं को परेशानी है। वकीलों ने गिरफ्तार व्यक्तियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की है। यदि कार्रवाई नहीं की जाती है, तो अधिवक्ता अपनी हड़ताल आगे भी जारी रखने को बाध्य होंगे।