Today Breaking News

नीरज शेखऱः स्क्रिप्ट पुरानी, फिल्म नई

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर वही हुआ जो कयास लगाया जा रहा था। पूर्व प्रधानमंत्री स्व.चंद्रशेखर के  बेटे और राज्यसभा सदस्य नीरज शेखऱ मंगलवार को भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दी। नीरज शेखर का राज्यसभा छोड़ना और सपा से इस्तीफा देने के अगले ही दिन भाजपा में जाने का घटनाक्रम जल्दी-जल्दी चलता रहा कि उनकी खबरों की हेडिंग भी उसी रफ्तार से बदलती रही। हालांकि सपा से नीरज शेखर के जाने की खबर उनके गृह जिला बलिया और कर्म क्षेत्र में समाहित गाजीपुर में कोई अप्रत्याशित नहीं मानी गई।

नीरज शेखर से जुड़े लोगों की मानी जाए तो इसकी स्क्रिप्ट तभी लिखी जाने लगी थी, जब बीते लोकसभा चुनाव के वक्त उन्हें टिकट देने को लेकर सपा में नौटंकी शुरू हुई थी और अंत में उनका टिकट कट गया था। स्क्रिप्ट के आखिरी अध्याय पर उस दिन हाथ लगा था, जब लोकसभा चुनाव अभियान में सपा मुखिया अखिलेश यादव बलिया पहुंचे थे और नीरज शेखर उनके मंच पर नहीं पहुंचे थे। साथ ही नीरज शेखर के समर्थक भाजपा की प्रचार गाड़ियों में बैठने लगे थे और उस स्क्रिप्ट का आखिरी पन्ना सोमवार को लिखा गया, जब नीरज शेखर दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मिले। फिर राज्यसभा के उप सभापति और उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू से मिल कर राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिए। साथ ही सपा को भी वॉय-वॉय कर दिए।

अब जबकि नीरज शेखर भाजपा का झंडा थाम चुके हैं, तब भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से उनकी हुई डील को लेकर अटकलबाजी शुरू हो गई है। एक चर्चा है कि भाजपा नेतृत्व ने उनसे वादा किया है कि उनके इस्तीफे के बाद राज्यसभा में खाली हुई उत्तर प्रदेश की सीट के लिए होने वाले उपचुनाव में पार्टी उन्हें उतारेगी। उसका कार्यकाल अगले साल 25 नवंबर तक होगा। फिर इस सीट के लिए होने वाले सामान्य चुनाव में नीरज शेखर को भाजपा दोबारा मौका देगी। हालांकि इन मसलों पर नीरज शेखर की ओर से कुछ नहीं कहा जा रहा है।

अलबत्ता, भाजपा की सदस्यता लेते वक्त नीरज शेखर ने यही कहा-पिछले कुछ दिनों से लग रहा था कि जहां (सपा) मैं था, वहां मेरे लिए काम करना मुश्किल हो रहा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पूरे देश का समर्थन दोबारा हासिल हुआ है। उससे मुझे लगा कि अगर राष्ट्र हीत में काम करना है तो नरेंद्र मोदी और अमित शाह का नेतृत्व स्वीकार करना चाहिए। पूरा देश भी मान चुका है कि उन्हीं के हाथों में देश सुरक्षित रहेगा। यह भी लगभग तय है कि नीरज शेखर के भाजपा में जाने के बाद उनके समर्थक भी वही राह पकड़ेंगे, लेकिन नीरज शेखर के भतीजे और बलिया से सपा के एमएलसी रविशंकर सिंह पप्पू क्या करेंगे। जाहिर है कि इसके जवाब के लिए अभी और इंतजार करना पड़ेगा।

वैसे नीरज शेखर के जाने से सपा के वह लोग खुश हैं, जो अपनी पार्टी में नीरज शेखर के लिए आगे बढ़ने के संभावित रास्ते बंद करने में लगे रहते थे। बल्कि वह लोग इसे अपनी उपलब्धि मान रहे हैं। सपाजनों में कई का कहना है कि उन लोगों में कुछ का दोहरा चेहरा है। बीते लोकसभा चुनाव में उन जैसों के कुनबे भाजपा के साथ थे। इसका सबूत मौका आने पर पार्टी मुखिया को जरूर दिया जाएगा। हालांकि खाटी सपाजन नीरज शेखर के इस पाला बदल को विश्वासघात करार दे रहे हैं। उनका कहना है कि नीरज शेखर अपने स्वार्थ में यह भूल गए कि जब तक उनके पिताश्री पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर रहे तब तक उन्हें लोकसभा में जाने का मौका देती रही और जब उनका निधन हुआ तब से नीरज शेखर को सपा लोकसभा में भेजती रही। 

यही नहीं साल 2014 के लोकसभा चुनाव में नीरज शेखर हार गए तब उनकी जिद पर राज्यसभा में उन्हें जाने का मौका दिया गया। उसके लिए पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के दावों की अनदेखी की गई। यहां तक कि सपा मुखिया अखिलेश यादव नीरज शेखर के साथ मित्रवत व्यवहार करते थे। उधर राजनीतिक प्रेक्षक नीरज शेखर के इस कदम को लेकर अपनी समीक्षा भी शुरू कर दिए हैं। 

इनमें कुछ की मानी जाए तो पहले एमएलसी यशवंत सिंह फिर राजा भैया का सपा से मोह भंग होना और अब नीरज शेखर के दूर होने से कम से कम पूर्वांचल की राजपूत बिरादरी में सपा की चमक और फीकी होगी, जबकि नीरज शेखर को अपनी ओर खींच कर भाजपा पूर्वांचल में अपने मतलब का राजनीतिक संदेश देने की पूरी कोशिश करेगी।
'