गाजीपुर: गुरु पूर्णिमा पर भक्तों ने गुरुओं को किया नमन
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर लहुरीकाशी में शहर से लेकर देहात तक गुरु पूर्णिमा का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। आषाढ़ पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं ने गंगा घाटों पर श्रद्धा की डुबकी लगाई। जगह-जगह मंदिरों और आश्रमों में गुरुओं की पूजा की गई। भक्तों ने दर्शन कर मंदिरों में पूजा अर्चना की, साथ माता अन्नपूर्णा की आराधनाकी। गुरुपूर्णिमा के दिन ही आज देर रात चंद्रग्रहण भी है, तो इसको लेकर देर शाम मंदिरों के पट भी बंद हो गए। गुरुपूर्णिमा के अवसर पर नगर के विभिन्न गंगा घाटों पर भोर से ही भारी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी। महिलाओं और बच्चों के साथ ही बडे़-बुजुर्ग श्रद्धालु भी गंगा घाटों पर पहुंचे। मां गंगा के पावन जल से स्नान करने के बाद श्रद्धालु साफ-स्वच्छ वस्त्रों को धारण कर तट पर स्थित मंदिरों में दर्शन-पूजन किये।
वहीं भक्त अपने-अपने गुरुओं की चरणों में आशीष लेने के लिए मठों, मंदिरों, आश्रमों आदि स्थानों पर पहुंचे। आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहा जाता है। इस दिन गुरु पूजा का विधान है। गुरु पूर्णिमा वर्षा ऋतु के आरंभ में आती है। इस दिन से चार महीने तक परिवार्जक साधु-संत एक ही स्थान पर रहकर ज्ञान की गंगा बहाते हैं। तस्मैय श्री गुरुवे नम: से गूंजे मठ-मंदिर व आश्रमगाजीपुर। निज संवाददाता ‘गुरुर ब्रह्मा, गुरुर विष्णु, गुरुर देव महेश्वर: के मंत्र से मंगलवार को गुरू पूर्णिमा के पर्व पर जनपद के मठ-मंदिर गुंजायमान रहे।
मठ-मंदिरों और आश्रमों में जाकर शिष्यों ने गुरु चरणों में श्रद्धानवत होकर उनका आशीष प्राप्त किया। पूरे दिन कीर्तन-भजन, प्रवचन और गुरु के पूजन-अर्चन का क्रम चलता रहा। कई मठ-मंदिरों में भंडारे का भी आयोजन हुआ, जहां बड़ी संख्या में शिष्य-श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। गुरु अपने शिष्य को सामाजिक, आर्थिक व सांसारिक जीवन जीने की भी कला को सिखाता है। गुरु पूर्णिमा का पर्व श्रद्धा पूर्वक मनाया गया। वहीं जगह-जगह आयोजित भंडारा देरशाम तक चलता रहा।