भगवान शिव को प्रिय श्रवण मास पूर्णतः देवाधिदेव महादेव को समर्पित है - महामंडलेश्वर भवानीनंदन यति
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर देश के कोने-कोने में विद्यमान सिद्धपीठ हथियाराम मठ के 26वें पीठाधिपति महामंडलेश्वर स्वामी भवानीनंदन यति जी महाराज ने कहा कि भगवान शिव को प्रिय श्रवण मास पूर्णतः देवाधिदेव महादेव को समर्पित है। श्रवण मास में विधि-विधान से भगवान शिव की सच्चे हृदय से आराधना करने से मनुष्य को शुभ फल की प्राप्ति होती है। स्वामी भवानीनंदन अपने 24वें चातुर्मास महायज्ञ के दौरान बुधवार को मठ पर जुटे शिष्य-श्रद्धालुओं के बीच प्रवचन कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि सावन में ‘रुद्राभिषेक’ का विशेष महत्त्व है। इस माह में विशेष तौर पर सोमवार के दिन ‘रुद्राभिषेक’ करने से देवाधिदेव शिव की कृपा बरसती है। अभिषेक कराने के बाद बिल्वपत्र, शमीपत्र, कुशा तथा दूब आदि से शिवजी को प्रसन्न करते हैं। अंत में भांग, धतूरा तथा श्रीफल भोलेनाथ को भोग के रूप में सर्मिपत किया जाता है। स्वामी भवानीनन्दन जी महाराज ने कहा कि आध्यात्मिक पहलू के कारण सावन माह का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है। यदि पूरे विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा की जाय, तो सभी प्रकार की बाधाओं से मुक्ति मिलना तय है। सावन में प्रत्येक सोमवार को शिव पूजा करनी चाहिए।
इस दिन व्रत रखना और भगवान शिव का ध्यान करना फलदायक है। व्रत में भगवान शिव का पूजन करके एक समय ही भोजन किया जाता है। गले में गौरीशंकर रूद्राक्ष धारण करना शुभ माना जाता है। उधर मां भगवती के 108 अवतारों में से एक बुढ़िया माई एवं देवाधिदेव भगवान शिव के उपासक महामण्डलेश्वर भवानीनन्दन यति के भाद्र पद पूर्णिमा तक चलने वाले चातुर्मास महायज्ञ एवं सिद्धिदात्री मंदिर में बुढ़िया माई का दर्शन-पूजन करने के लिए बिहार, बंगाल, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात समेत देश के कोने-कोने से श्रद्धालु यहां पहुंच रहे हैं। वाराणसी के आचार्य सुरेशजी के आचार्यत्व में वैदिक ब्राह्मणों द्वारा किये जा रहे वैदिक मंत्रोच्चार से समूचा अंचल गुंजायमान है। प्रतिदिन षोडषप्रकार विधि से पार्थिव शिवलिंग की उपासना और सांध्यकालीन उत्तर पूजा, महाआरती व भोग-प्रसाद में शामिल होने के लिए शिष्य श्रद्धालुओं में होड़ मची है।