गाजीपुर: अंधकार से हटाकर प्रकाश की ओर ले जाने वाले का नाम है गुरु- महामंडलेश्वर भवानीनंदन यति
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर शास्त्रों में गु का अर्थ बताया गया अंधकार या मूल अज्ञान और रु का का अर्थ किया गया है उसका निरोधक। गुरु को गुरु इसलिए कहा जाता है कि वह अज्ञान तिमिर का ज्ञानांजन-शलाका से निवारण कर देता है। अर्थात अंधकार को हटाकर प्रकाश की ओर ले जाने वाले को ‘गुरु’ कहा जाता है। जीवन में गुरु शिष्य के मिलन के बाद ही ज्ञान की प्राप्ति होती हैै। उक्त बातें गुरु पूर्णिमा के अवसर पर सिद्धपीठ हथियाराम मठ पर जुटे हजारों शिष्य श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए पीठ के पीठाधीश्वर व जूना अखाड़े के वरिष्ठ महामंडलेश्वर स्वामी भवानीनन्दन यति जी महाराज जी महाराज ने कहा।
गुरु पूर्णिमा के अवसर पर सिद्धपीठ हथियाराम मठ से जुड़े देश के कोने-कोने से से श्रद्धालुओं का हुजूम गुरु पूजन के लिए उमड़ा। लोगों ने श्रद्धा पूर्वक गुरुजनों का पूजन अर्चन कर उसे आशीर्वाद ग्रहण किया। लोगों को संबोधित करते हुए श्री जी महाराज ने कहाकि “अज्ञान तिमिरांधश्च ज्ञानांजन शलाकया, चक्षुन्मीलितम तस्मै श्री गुरुवै नमः” जिसका अर्थ बताते हुए कहाकि देवता में समानता के लिए एक श्लोक में कहा गया है कि जैसी भक्ति की आवश्यकता देवता के लिए है वैसी ही गुरु के लिए भी होनी चाहिए क्योंकि सद्गुरु की कृपा से ईश्वर का साक्षात्कार भी संभव है। गुरु की कृपा के अभाव में कुछ भी संभव नहीं है।
व्यक्ति के जीवन में गुरु आते हैं । जैसे श्रीकृष्ण-अर्जुन, श्री रामकृष्ण परमहंस-स्वामी विवेकानंद, समर्थ रामदासस्वामी-शिवाजी महाराज ऐसी गुरु-शिष्य परंपरा ही हमारे देश की विशेषता है ।आध्यात्मिक गुरु हमें अपनी वास्तविक पहचान कर देते हैं। हमारे अज्ञान के कारण हमें ऐसा लगता है कि, मैं एक व्यक्ति हूं; परंतु वास्तविक रूपसे हम व्यक्ति न होकर आत्मा हैं, अर्थात् ईश्वर ही हममें रहकर प्रत्येक कृत्य करता है; परंतु अहंकाररूपी अज्ञान के कारण हमें लगता है कि, ‘हम प्रत्येक कृत्य करते हैं।’ सोचो, आत्मा हम में से निकल गई, तो हम क्या कर सकते हैं ? तब ईश्वर ही सभी कुछ करता है ।
वह अन्न का पचन करता है, वही रक्त बनाता है, इसका भान हमें गुरु कर देते हैं। सर्वप्रथम श्री यति जी महाराज द्वारा अपने गुरु ब्रह्मलीन संत महामंडेश्वर बालकृष्ण यति जी महाराज के चित्र पर माल्यार्पण एवं आरती पूजन के माध्यम से गुरु पूजन किया गया।
उसके बाद स्थानीय जनपद के साथ ही मऊ, आजमगढ़, बलिया, वाराणसी, चन्दौली, बक्सर, इंदौर, ग्वालियर, मुम्बई, सतना सहित देश के कोने कोने से आए श्रद्धालुओं ने आशीर्वाद ग्रहण किया। इस अवसर पर प्रसाद वितरण के साथ ही भोजन भंडारे का भी आयोजन किया गया। गुरु पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण लगने की वजह से शाम को 4:00 सूतक लगने से पूर्व ही सिद्धपीठ स्थित मंदिरों में आरती पूजन कर कपाट बंद कर दिए गए, कपाट बंद होने से पूर्व लोगों ने भगवान के दर्शन पूजन भी किए।