गाजीपुर: यह विद्यालय है या खंडहर, बांस का गेट और छत पर झाड़ी
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर नगर क्षेत्र के मुगलानीचक स्थित प्राथमिक विद्यालय आजादी से ही किराए के भवन में चल रहा है। भवन में तो कुल छह कमरे हैं लेकिन सभी निष्प्रयोज हैं। इसलिए बरामदे में ही प्रधानाध्यापक, एक शिक्षामित्र, रसोइया रहते हैं। इतना ही नहीं पंजीकृत 13 छात्र भी इसी बरामदे में पढ़ते हैं। विद्यालय की स्थिति ऐसी है कि जिसे देखकर ही आप भयभीत हो जाएंगे। दीवार सहित छत एकदम से जर्जर हो गए हैं, जो कभी भी धराशायी हो सकते हैं। यही कारण है कि अभिभावक बच्चों को इस स्कूल में नहीं भेजते।
बुधवार को सुबह 11:30 बजे जागरण टीम काफी मशक्कत के बाद गिरते-पड़ते प्राथमिक विद्यालय मुगलानी चक पहुंची। देखा कि विद्यालय के गेट की जगह बांस का चाचर लगा हुआ है। स्कूल में मात्र तीन बच्चे उपस्थित थे जिन्हें अहाते में शिक्षामित्र संध्या मिश्रा पढ़ा रही थीं। प्रधानाध्यापक संतोष प्रकाश राय किसी कार्य से विकास भवन गए थे। बच्चों की इतनी कम संख्या के बारे में पूछने संध्या मिश्रा ने बताया कि यहां 13 बच्चे पंजीकृत हैं, लेकिन जैसे ही बारिश या तेज हवा चलने लगती है तो किसी अनहोनी के डर से छुट्टी कर दी जाती है। इसलिए सभी बच्चे घर चल गए हैं। विद्यालय में छह कमरे हैं, सभी के गाटर पटिया का छत जगह-जगह टूट गया है, इसलिए बरामदे में ही बच्चों को पढ़ाया जा रहा था। बरामदे का भी यही हाल है।
सबसे बड़ी बात तो यह है कि यहां शौचालय भी नहीं है। विद्यालय के आसपास झाड़-झंखाड़ होने के कारण प्रतिदिन सांप और बिच्छू भी निकलते रहते हैं। मजे की बात तो यह है कि आजादी के बाद से ही इसी भवन में विद्यालय संचालित हो रहा है, लेकिन आज तक किसी जिम्मेदार की नजर इस पर नहीं पड़ी। इसकी शिकायत बार-बार एबीएसए सहित बीएसए से की जाती है, लेकिन उनके कान पर जूं तक नहीं रेंगती। शिक्षामित्र संध्या मिश्र ने बताया कि वह वर्ष 2006 से ही यहां तैनात हैं।
विद्यालय आने के बाद जब तक वह यहां रहती हैं, ईश्वर से सकुशल घर वापसी के लिए प्रार्थना करती रहती हैं। यही नहीं विद्यालय आने का रास्ता भी नहीं है। बारिश होने पर विद्यालय में लबालब पानी भर जाता है। तीन दिन पहले विद्यालय आते समय प्रधानाध्यापक गिरकर चोटिल हो गए। अब आप सहज ही अंदाजा लगा सकते हैं, कि इस शिक्षा के मंदिर में बच्चों को कैसे और कैसी शिक्षा दी जा रही होगी। विद्यालय की स्थिति को देखकर ऐसा लगता है जैसे शासन की योजना यहां तक पहुंच ही नहीं पा रही है।