गाजीपुर: ग्राम प्रधान महिला, कारनामा लाखों का घोटाला
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर कहते हैं भ्रष्टाचार, घोटाला की सबसे ज्यादा गुंजाइश पुरुष के राजपाट में रहती है, लेकिन रेवतीपुर की ग्राम पंचायत बसुका इसकी अपवाद कही जाए या फिर महिला के राजपाट का अवगुण। बसुका ग्राम पंचायत की प्रधान हैं रजिया बेगम। इन पर हजार, एक-दो लाख नहीं करीब 80-85 लाख रुपये के गड़बड़ घोटाले का आरोप है। हैरानी यह कि सारे सबूत उनके खिलाफ लगे आरोप की पुष्टि करते हैं, लेकिन आज तक उनका बाल-बांका नहीं हुआ है।
ग्राम पंचायत के जागरुक युवक रवि राय ने जब इसकी तहकीकात की तब घोटाले की परत दर परत खुलती गई। पता चला कि ग्राम प्रधान ने अपनी पंचायत की ग्राम निधि के खाते से धनराशि सीधे अपने भाई जुन्नूरेन अली की निजी फर्म अरहान बिल्डिंग मैटेरियल के खाते में ट्रांसफर कर दी। जाहिर है कि यह सरासर नियम विरुद्ध है। रवि राय ने इस गड़बड़ घोटाले की पड़ताल में संबंधित बैंक से सारे रिकार्ड प्राप्त किए हैं। वह रिकार्ड घोटाले की पुष्टि कर रहे हैं। रवि राय ने इसकी आधिकारिक पुष्टि के लिए जनसूचना के अधिकार का इस्तेमाल शुरू किया, लेकिन कहीं से कोई सूचना नहीं मिली। फिर वह इस मामले में कार्रवाई के लिए मय शपथ पत्र दस्तावेजी सबूत लेकर बीडीओ, डीपीआरओ, डीएम के दफ्तर तक दौड़ लगाते रहे, पर वहां भी आखिर तक निराशा ही हाथ लगी।
संयोगवश बीते संसदीय चुनाव अभियान में मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी गहमर आए। रवि राय वहां पहुंच कर अपनी ग्राम पंचायत में हुए घोटाले और उसके सबूत से जुड़े सारे दस्तावेज उन्हें थमाए। मुख्यमंत्री इसे गंभीरता से लिए। इस बाबत मुख्यमंत्री के विशेष कार्य अधिकारी अजय सिंह की चिट्ठी रवि राय को मिली कि इस मामले में यथोचित कार्रवाई के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देशित कर दिया गया है। वह चिट्ठी मिलने पर रवि राय को सुकून मिला। उम्मीद जगी कि अब दूध का दूध और पानी का पानी होकर रहेगा, लेकिन उनके लिए यह उम्मीद कुछ ही दिन रह पाई। पता चला कि संबंधित अधिकारियों ने जांच की खानापूर्ति और इस मामले में लीपापोती कर रिपोर्ट ऊपर भेज दी है। बावजूद रवि राय ने अपनी उम्मीद नहीं छोड़ी है। फिर से घोटाले के साक्ष्य, तथ्य और कथ्य के साथ डीएम दफ्तर में अर्जी लगाए हैं। उधर ग्राम प्रधान और उनके भाई बेखौफ हैं, जबकि ग्राम पंचायत के लोग चाहते हैं कि घोटाले करने वालों पर कार्रवाई हो।
ग्राम पंचायत के जागरुक युवक रवि राय ने जब इसकी तहकीकात की तब घोटाले की परत दर परत खुलती गई। पता चला कि ग्राम प्रधान ने अपनी पंचायत की ग्राम निधि के खाते से धनराशि सीधे अपने भाई जुन्नूरेन अली की निजी फर्म अरहान बिल्डिंग मैटेरियल के खाते में ट्रांसफर कर दी। जाहिर है कि यह सरासर नियम विरुद्ध है। रवि राय ने इस गड़बड़ घोटाले की पड़ताल में संबंधित बैंक से सारे रिकार्ड प्राप्त किए हैं। वह रिकार्ड घोटाले की पुष्टि कर रहे हैं। रवि राय ने इसकी आधिकारिक पुष्टि के लिए जनसूचना के अधिकार का इस्तेमाल शुरू किया, लेकिन कहीं से कोई सूचना नहीं मिली। फिर वह इस मामले में कार्रवाई के लिए मय शपथ पत्र दस्तावेजी सबूत लेकर बीडीओ, डीपीआरओ, डीएम के दफ्तर तक दौड़ लगाते रहे, पर वहां भी आखिर तक निराशा ही हाथ लगी।
संयोगवश बीते संसदीय चुनाव अभियान में मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी गहमर आए। रवि राय वहां पहुंच कर अपनी ग्राम पंचायत में हुए घोटाले और उसके सबूत से जुड़े सारे दस्तावेज उन्हें थमाए। मुख्यमंत्री इसे गंभीरता से लिए। इस बाबत मुख्यमंत्री के विशेष कार्य अधिकारी अजय सिंह की चिट्ठी रवि राय को मिली कि इस मामले में यथोचित कार्रवाई के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देशित कर दिया गया है। वह चिट्ठी मिलने पर रवि राय को सुकून मिला। उम्मीद जगी कि अब दूध का दूध और पानी का पानी होकर रहेगा, लेकिन उनके लिए यह उम्मीद कुछ ही दिन रह पाई। पता चला कि संबंधित अधिकारियों ने जांच की खानापूर्ति और इस मामले में लीपापोती कर रिपोर्ट ऊपर भेज दी है। बावजूद रवि राय ने अपनी उम्मीद नहीं छोड़ी है। फिर से घोटाले के साक्ष्य, तथ्य और कथ्य के साथ डीएम दफ्तर में अर्जी लगाए हैं। उधर ग्राम प्रधान और उनके भाई बेखौफ हैं, जबकि ग्राम पंचायत के लोग चाहते हैं कि घोटाले करने वालों पर कार्रवाई हो।