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गाजीपुर: मोदी लहर में भी अफजाल अंसारी ने सादगी, संघर्ष और जोड़ने की कला से फहराया पताका

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर लोकसभा चुनाव में हार-जीत के विश्‍लेषण से हर चट्टी-चौराहा व चायखानो का माहौल गरम है। मोदी लहर में पूरे देश में कमल का फूल खिला लेकिन गाजीपुर में हाथी ने कमल को पराजित कर दिया। हार-जीत की समीक्षा में दो प्रमुख कारण सामने आये है। प्रथम कारण गाजीपुर में प्रचार का मुद्दा मोदी न होकर विकास पुरूष मनोज सिन्‍हा बनाम अफजाल अंसारी के बीच चलता रहा। मनोज सिन्‍हा ने प्रचार में अपनी पूरी ताकत झोंक दी। केंद्रीय योजनाओं के बीच मनोज सिन्‍हा को विकास पुरूष के रूप में बीजेपी के प्रचार ऐजेंसियो ने प्रोजेक्‍ट किया और अफजाल अंसारी को आताताई बाहुबली के रूप में पेश किया गया। जिसके चलते मध्‍यम वर्ग से लेकर गरीब तबको में अफजाल अंसारी के प्रति हमदर्दी बढती गयी। 

चुनाव के अंतिम दिनो में एक विशेष जाति के नेताओं पर अंकुश लगाने के लिए लाल कार्ड का प्रयोग किया गया, यह भाजपा के लिए आत्‍मघाती सिद्ध हुआ। तिसरा सबसे महत्‍वपूर्ण कारण यह है कि अफजाल अंसारी 2009 में लोकसभा चुनाव हारने के बाद लगातार गाजीपुर में सक्रिय रहें। अपने लोगो के बीच सुख-दुख में आना जाना और अपनी एक अलग टीम बनाई। इसका उदाहरण 2014 के लोकसभा चुनाव में डीपी यादव को 58 हजार मत मिलना। विधानसभा चुनाव में भी कौमी एकता दल का एक अलग स्‍थान रहा। ब्‍लाक प्रमुखी चुनाव, जिला पंचायत के चुनाव के साथ निकाय चुनाव में भी अफजाल अंसारी का दबदबा पूरे जिले में रहा। 

दो नगर पालिका, तीन नगर पंचायत पर आज भी अफजाल अंसारी के लोग काबिज है। अपने सांसद कार्यकाल 2004 से लेकर 2009 के बीच अफजाल अंसारी ने जो पूरे जिले में विकास एंव अनुश्रवण समिति बनाई थी जिसमें 51-51 सदस्‍य होते थे। इन्‍ही सदस्‍यो के सलाह पर उन क्षेत्रो में बड़े पारदर्शी ढंग से सांसद निधि का वितरण होता था। जिसके चलते बहुत से ग्रमा प्रधान व पूर्व ग्राम प्रधान, इनसे जुड़े हुए थे। अफजाल अंसारी की अपने लोगो को जोड़ने की कला से पूरे लोकसभा में करीब एक डेढ़ लाख मतदाता उनके पर्सनल वोटर हो गये। इसी के चलते पूरे प्रदेश में गठबंधन फेल होने के बावजूद भी मोदी लहर में भी गाजीपुर के सीट पर अफजाल अंसारी ने गठबंधन का परचम लहरा दिया।

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