लोकसभा चुनाव 2019: काशी में बोले पीएम मोदी, जीवन का एक ही मंत्र, राष्ट्र प्रथम इंडिया फर्स्ट
गाजीपुर न्यूज़ टीम, काशी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को मेगा रोड शो और गंगा आरती के बाद काशी के प्रबुद्धजनों से मिले। होटल डि पेरिस में उन्हें संबोधित करते हुए काशी में पांच साल में किये गए काम का रिपोर्ट कार्ड रखा। चुनावी दौरे पर होने के बाद भी उन्होंने एक बार भी किसी विरोधी पार्टी का नाम नहीं लिया। मां गंगा, काशी विश्वनाथ मंदिर, शहर के सुंदरीकरण, सड़कों, पुलों, अस्पतालों आदि को एक-एक कर गिनाया। कहा कि चाहे कुछ हो जाए देशहित के अलावा किसी अौर का हित नहीं सोचूंगा। उन्होंने पुलवामा अौर उरी की घटनाअों का जिक्र करते हुए कहा कि मेरे जीवन का एक ही मंत्र है, राष्ट्र प्रथम, इंडिया फर्स्ट।
मेरा सौभाग्य है कि काशी से जुड़ सका
एम मोदी ने कहा कि मेरा सौभाग्य है कि काशी की वेद परंपराअों अौर ज्ञान के तार्किक अनुभवों से मैं जुड़ गया। काशी का यह प्रसाद मेरे जीवन को तार्किक बनाने की शक्ति देता है। काशी की धार्मिक आस्था से महात्मा बुद्ध, तुलसी दास, संत रविदास, कबीर दास, रामानंद जैसे विचारकों से प्रेरणा मिली। सत्य, न्याय, अहिंसा ज्ञान की इस प्रेरणा ने मुझे भी वैश्विक स्तर पर इन मूल्यों के साथ खड़े होने का संबल दिया है। काशी के इन महापुरुषों के द्वारा मेरी अंतरात्मा में यही भाव निरंतर प्रवाह होता रहता है।
काशी के लोगों से यह भी बोले पीएम मोदी
1.मोदी ने कहा कि अभी जिस तरह से काशी ने मुझे स्नेह दिया, प्यार दिया, मैं अभिभूत हूं। मुझे खुशी है कि मैं काशी का हिस्सा बन पाया। काशी के बारे में आदि शंकराचार्य ने कहा है कि काशी ही समस्त ज्ञान की प्रकाशिका अौर ज्ञान प्रदान करने वाली है। काशी की निरंतर शिक्षा उसकी गुणता की पहचान है। मुझे सांसद के रूप में काशी से जुड़ने का मौका मिला। मेरे भीतर के विद्यार्थी को चैतन्यवान बनाने में, नया नया सोचने में, काशी ने बहुत बडी भूमिका निभाई है।
2.पांच वर्ष पहले जब काशी की धरती पर मैंने कहा था कि मां गंगा ने मुझे बुलाया है। मैया ने एेसा दुलार दिया, काशी ने इतना प्यार दिया कि बनारसी फक्कड़पन में यह फकीर भी रम गया। कई बार लोग पूछते हैं कि मोदी ने बनारस में क्या बदलाव किया। लेकिन मैं उससे पहले बताना चाहता हूं कि काशी ने मुझमें क्या बदलाव किया।
3.याद कीजिये यहां संकटमोचन मंदिर, गुजरात में अक्षरधाम, अयोध्या हमारे आस्था के केद्रों पर 2004 से 2014 तक लगातार आतंकी हमले हुए। यहां पर आरती कर रहे निर्दोष भक्तों की हत्या करने की घटना याद कर आज भी मन सिहर जाता है।
4.तब की सरकार हर हमले के बाद वार्ता के अलावा कुछ नहीं करती थी। काशी के कुछ इन्हीं पलों ने मुझे एमपी नहीं, पीएम बनने का आशीर्वाद दिया। मुझे 130 करोड़ भारतीयों ने विश्वास की ताकत दी। आतंकियों को उन्हीं की भाषा में जवाब देने का साहस दिया। हमने उन्हें बता दिया कि नया भारत कहता अौर सहता नहीं है। वह आतंक को मुंहतोड़ जवाब देता है।
5.आज आप भी देख रहे हैं कि किस तरह हमने आतंकी सरपरस्तों को अलग थलग कर दिया है। अंतरराष्ट्रीय मंच अब पाकिस्तान के रोने पर ध्यान नहीं देता। जिन्हें वो अपना समझते थे वो उन्हें छोड़ चुके हैं। दुनिया ने उन पर रोक लगाने में भारत का साथ दिया है।
6.देश के भीतर भी हमने चौतरफा शक्ति बनाए रखी। हमने मानवतावाद का फर्जी चोला पहनने वाले ऐसे खतरनाक कुछ संगठनों पर भी लगाम कसी जो आतंक की फसल के लिए खाद-पानी का इंतजाम करते थे। इसी का नतीजा है कि पांच साल में भारत में किसी शहर, किसी पवित्र स्थान या मंदिर पर कोई आतंकी हमला नहीं हो सका है।
7.इतना बड़ा कुंभ का मेला सुख शांति के साथ देश ने अनुभव किया। आतंकवाद अब जम्मू कश्मीर के थोड़े से दायरे में सिमट कर रह गया है। पुलवामा में उन्होंने हमारे 40 जवानों को शहीद किया था। उस क्षेत्र में अब तक 42 आतंकियों को ठिकाने लगाया जा चुका है। यह हमारा काम करने का तरीका है।
8.दूसरी तरफ हमारे आसपास कैसी स्थितियां बन रही हैं। चुनौतिया कितनी गंभीर हैं। कुछ दिन पहले श्रीलंका में सीरियल बम धमाके हुए। प्रेम अौर शांति के लोगों को भी आतंकियों ने नहीं बख्शा। उस दिन ईस्टर था। लोग परिवार के साथ चर्च में आए थे, प्रार्थन कर रहे थे, शांति की माला जप रहे थे। लेकिन जिंदा घर नहीं जा सके। आतंक ने उन लोगों का सबकुछ तबाह कर दिया। आतंक की चुनौती को एक पल के लिए भी कम आंकना, देश के साथ अन्याय है।
9.समर्थ भारत के लिए, संपन्न भारत के लिए, सुखी भारत के लिए विकास के साथ साथ सुरक्षा अहम है। मेरा स्पष्ट मत है कि परिवर्तन तभी सार्थक अौर स्थायी होता है, जब जन मन बदलता है। इस जन मन को साधने के लिए तपस्या करनी होती है। इस समय हमारा भारतवर्ष भी तपस्या के दौरा में है। वह खुद को साध रहा है और उसकी साधना में हम सब एक सेवक हैं। इस साधना को सुऱक्षा अौर सम्मान को पूरे देश ने अौर मेरी काशी ने भी महसूस किया है।
10.काशी में हुए बदलाव को यह भी कहना चाहता हूं कि मोदी बदलाव करने वाला होता कौन है? जहां खुद बाबा विश्वनाथ विराजे हैं, वहां उनकी मर्जी के बिना कुछ हो सकता है क्या? यह तो बस एक बेटे का संकल्प है अौर काशी की महान जनता की जीवंतता है कि यह पुरातन नगरी नवीनता को अंगीकार कर रही है।
11.हम ऐसी दिशा की अोर बढ़ रहे हैं जहां साइंस भी हो स्पीरिच्यूलिटी भी हो, टैलेंट भी हो टूरिज्म भी हो। खानपान हो तो खेलकूद भी हो, जहां विद्दता भव्यता का संगम हो, जिसकी जड़ें आध्यात्मिक हों। पश्चिम का चश्मा लगाकर यह सब नहीं किया जा सकता। हम लोग इस अविनाशी काशी को अलौकिक रूप देने के महायत्र में जुटे हैं।
12.जब मैं बहुत पहले काशी आया था। तब एयरपोर्ट से शहर में आने वाले रास्ते को देखकर बहुत पीड़ा हुई। शहर में पहुंचा तो बिजली के लटकते तारों को देखकर मन में पीड़ा हुई। जहां दुनिया मां गंगा का अमृतपान करने आती है वहां, गंदगी का ढेर क्यों है। ऐसे अनेक सवाल मेरे मन में कौंधते थे। इन्ही सभी सवालों का जवाब ढूढने के लिए आप लोगों का साथ मांगा था। 17 मई 2014 को गंगा तट पर कुछ संकल्प ले रहा था। तो मन में यह सवाल जरूर था कि काशी की उम्मीदों पर खरा उतर पाऊंगा क्या?
13.आज मैं कह सकता हूं कि हम सभी के सामूहिक प्रयास से बदलाव को काशीवासियों समेत पूरा देश अनुभव कर रहा है। जो सपना मन में हैं वह पूरा हो गया, ऐसा दावा नहीं करता, लेकिन उस सपने को पूरा करने में हमारा रास्ता अौर रफ्तार जरूर सही है।
14.काशी के विकास को लेकर हम जिस दिशा में बढ़ रहे हैं, उनके तीन पहलू हैं। पहला आध्यात्मिक, दूसरा व्यावहारिक अौर तीसरा मानवीय। यह तीनों अलग अलग भी है अौर एक दूसरे से जुड़े हुए भी हैं। यह तीनों पहलू यहां के बुनकरो, युवाअों, व्यापरियों, उद्यमियों सभी लोगों के लिए उतने ही महत्वपूर्ण है।
15.बाबतपुर से शहर की जिस सड़क की चर्चा की थी, वही आज बनारस की पहचान बन गई है। यहां रेलवे स्टेशनों को सुधारा गया है। सड़कों को सुधारा गया है। रिंग रोड का काम चल रहा है। लटके तार गायब हो रहे हैं। चौक-चौराहे रोशनी से नहा रहे हैं। गंगा घाट पर अलग ही रौनक है।
16.वाराणसी संपूर्णता का प्रतीक है इसलिए यहां व्यवस्थाएं भी संपूर्ण होनी चाहिए। किसान से लेकर बुनकर, मजदूर, व्यापारी तक हर किसी को सुविधा मिले, यही प्रयास किया गया। काशी की स्थितियों अौर परिस्थितियों के मुताबिक इसे बिजनेस हब बनाने की अोर हम आगे बढ़ रहे हैं।
17.दिनदयाल हस्तकला संकुल हो, आधुनिक बीपीअो या बीएचयू में इंटीमेशन सेंटर, सुपर कंप्यूटिंग सेंटर हो, अनेक व्य्वस्था आधुनिक काशी में शुरू हुई हैं। काशी स्वास्थ्य सुविधाअों का बड़ा केंद्र बन रही है। देश के आधुनिक कैंसर अस्पतालों में से एक काशी मे हैं। अन्य बीमारियों के लिए भी आधुनिक अस्पतालों का निर्माण किया गया है। हमारे सामूहिक प्रयासों से बदलाव के लक्ष्य नजदीक दिखने लगे हैं।
18.इंफ्रास्ट्रचर, खासकर कनेक्टिवीटी को लेकर हमारे विरोधी भी लोहा मानते हैं। हाइवे, रेलवे, रोडवेज एयरवे हो पूरे देश में अभूतपूर्व काम हो रहा है। इसकी झलक काशी में भी दिखती है। गंगा जी पर जलमार्ग बनना, काशी में क्रूज अौर जहाजों का चलना, रामनगर में आधुनिक पोर्ट का बनना यह हमारे व्यापार अौर पर्यटन के विकास के लिए बहुत अहम है।
19.मां गंगा के सेवक हमारे मल्लाह अौर नाविक साथियों को इसका लाभ मिलना निश्चित है। हमारी विरासत हमारी आस्था के प्रतीक बाबा विश्वनाथ अौर मां गंगा की सेवा का अवसर मिलना सौभाग्य की बात है।
20.गंगा को अविरल और निर्मल बनाने की दिशा में भी हम बहुत आगे बढ़ चुके हैं। कई नालों को बंद किया जा चुका है। यहां गंगा में मिलने वाले अनेक नालों को बंद किया जा चुका है। पानी के शुद्धिकरण के लिए दीनापुर अौर गोइठां के एसटीपी काम करने शुरू कर चुके हैं।
21.प्रवासी सम्मेलन के दौरान हजारों भारतवंशियों ने जिस भाव से गंगा का आचमन किया, उनके चेहरे पर जो संतोष था, वह इस बात की गवाही दे रहा था कि मां गंगा की निर्मलता को लेकर उनके सारे सवाल घुल रहे हैं।
22.बाबा विश्वनाथ के दिव्य प्रांगण को भव्यता देने का काम तेजी से चल रहा है। गंगा से मंदिर का दर्शन अौर मंदिर से बाबा का दर्शन ईश्वरीय इच्छा रही है। आप लोग भी कहते हैं कि देवी अहिल्या बाई के बाद किसी ने इस परिसर के बारे में सोचा है। बाबा की इच्छा के बिना तो पत्ता भी नहीं हिलता। बाबा ने इस काम के लिए मुझे चुना यह उनका आशीर्वाद है। आज अस्सी घाट से लेकर राजघाट तक की सफाई काशी का सम्मान बढ़ा रही है।
23.सारनाथ में पिछले पांच साल में हुआ विकास भी अभूतपूर्व है। पांच साल में काशी के किसानों, बुनकरों अौर युवाअों के लिए ऐसे मॉडल को देने की कोशिश की है जो सर्व समावेशी हो। सर्व हितेशी हो अौर सर्वांगीण हो।
24.काशी ही नहीं पूरे पूर्वांचल में किसानों की स्थिति को क्या बना कर रखा गया था। उनके उत्पादों को सही मूल्य मिल सके उनके खाते में सीधे नगद पहुंचाने, समर्थन मूल्य बढ़ाने के साथ ही कंटेनर डिपो की स्थापना करके उन्हें सशक्त किया। देश के हर वर्ग को मजबूत करने में लगे हैं।
25.बीते पांच वर्ष पुरुषार्थ के थे। आने वाले पांच वर्ष परिणाम के होंगे। बीते पांच वर्ष ईमानदारी के प्रयास के थे, आने वाले पांच वर्ष उन प्रयासों को विस्तार देने के होंगे। बीते पांच वर्ष परिवर्तन की शुरुआत करने के थे, आने वाले पांच वर्ष देश की प्रतिष्ठा के होंगे।
26.हम परिवर्तन के साथ हर वह काम कर रहे हैं जो देश को सशक्त करे। ऐसे काम भी जो मेरे विरोधियों तक को छोटे लगते थे उन कामों को करने का बीड़ा मैंने उठाया है। साफ सफाई हो शौचालय हो, घरों में रसोई गैस उपलब्ध कराना हो, गरीबों का बैंक में खाता खुलवाना हो, गरीबों को अपना घर देना हो, ऐसे अनेक काम जो देखने में बड़े नहीं लगते हैं लेकिन अनुभव करेंगे तो इनसे बड़ा काम नहीं हो सकता है।
27.यह सीधे सीधे बहुत ही सामान्य लोगों के जीवन को प्रभावित करते हैं। उसके जीवन के तौर तरीके को बदलते हैं। उसमें एक आत्मविश्वास आता है। हर उस व्यक्ति को जो अपने को सिस्टम से कटा महसूस करता है, उसको एहसास होता है कि उसकी भी कोई सुन रहा है।
28.आत्मविश्वास ऐसी पूंजी होती है जिसके बल पर किसी भी चुनौती से पार पाया जा सकता है। गरीबी जैसे महाअभिशाप से बाहर निकलने का यही एक मात्र तरीका है। नए भारत का आत्मविश्वास, विकसित भारत का विश्वास बनेगा।
29.नए भारत में हमने प्रक्रियाअों में उलझे परिणामों को बदला है। सामान्य मानविकी को ऐसी व्यवस्था देने की कोशिश की है जिसेस उसे कहीं जूझना न पड़े, उलझना ना पड़े। आज आप देखिये पहले सरकार तक पहुंचना कुछ लोगों के लिए ही संभव था। आज सामान्य लोगों को यह विश्वास है कि प्रधानमंत्री तक उसकी पहुंच है।
30.इसी तरह पद्म पुरस्कार की कहानी है। इसमें बहुत बड़ा बदलाव किया है। हमने तरीका बदला। गांव गांव से नाम मंगवाए। परिणाम यह कि इस बार लगभग पचास हजार नाम आए। किन किन लोगों को पद्म पुरस्कर मिले हैं यह पूरी दुनिया ने देखा है। बनारस की मिट्टी के लोकगायक हीरा लाल यादव जी जैसे समर्पित साधकों को पुरस्कार पाते जिसने भी देखा उनकी आंखों में व्यवस्था परिवर्तन का एहसार देखा जा सकता है।
31.इसी तरह महामना अौर अटल जी जैसे रत्नों को भारत रत्न से सम्मानित करने का सौभाग्य हमारी सरकार को प्राप्त हुआ है। लोगों को आश्चर्य हो रहा था कि ऐसे लोग पद्म पुरस्कार लेने आए थे जिनके पैरों में फटी हुई चप्पल थी।
32.मां गंगा अौर बाबा विश्वनाथ अौर काशी मां भारती की पुरातन परंपरा का प्रतीक है। जो पूरे हिन्दुस्तान में कैलाश से लेकर कन्याकुमारी तक फैली है। आज का भारत सांस्कृतिक राष्ट्रवाद अौर अध्यात्म की मजबूत बुनियाद की वजह से ही बचा है।
33.पूज्यनीय आदि शंकराचार्य ने चार दिशाअों में चार पीठों की स्थापना करके आठवीं शताब्दी में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की बुनियाद का पुनर्निमाण किया। हमारे देश में कोस कोस पर बदले पानी, चार कोस पर बानी की कहावत मशहूर है। अनेकता में एकता की यही उर्जा हमारी संस्कृति की उर्जा का स्त्रोत है।
34.काशी के कोतवाल कालभैरव है तो उन्हीं की प्रेरणा से यह चौकीदार 21वीं सदी में भारत को नई ऊंचाई पर ले जाने में जुटा है। जब नीयत साफ होती है तो नीतियां भी सही बनती है। आपको विश्वास दिलाता हूं कि यह चौकीदार अपनी निष्ठा अौर ईमानदारी से कभी नहीं डिगेगा।
35.मैं काशी की मर्यादा नहीं झुकने दूंगा, मैं देश नहीं झुकने दूंगा। बाबा विश्वनाथ की नगरी में हर व्यक्ति बाबा का गौरव है, मेरे लिए पूज्यनीय है। आप सभी की पूजा करने का, सेवा करने का अवसर मेरे लिए सौभाग्य की बात है। आज मैं काशी वासियों का आशीर्वाद लेते-लेते गंगा का आशीर्वाद लेने चला गया। फिर एक बार आपसे आशीर्वाद लेने आया हूं। आपकी अनुमति हो तो कल मैं नामांकन करूंगा। आपका उत्साह देखकर लग रहा है तो आपने मुझे संभाल लिया है। अब विजय के बाद आपका धन्यवाद करने आऊंगा।
36.पुराने जमाने में मां जब बेटा बाहर रहता था तो मां बेटे को चिट्ठी लिखती थी। अंत में लिखती थी कि थोड़े में सब समझ लेना। मेरे चालीस पचास मिनट में मैंने पांच साल के काम को समेटने की कोशिश की है। मेरा कर्तव्य बनता है कि आपसे अगले पांच साल मांगू, उससे पहले पांच साल का हिसाब दूं। लोग 70 साल का नहीं दे रहे हैं, उनकी मर्जीं।
मेरा जीवन ऐसा है कि शरीर का कण कण अौर समय का पल पल, उसका पाई पाई का हिसाब आपके चरणों में रखता हूं अौर आशीर्वाद की उम्मीद करता हूं....हर हर महादेव।