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गाजीपुर: चौकाएंगा नगर पंचायत मुहम्मदाबाद का नतीजा

 
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर मुहम्मदाबाद। नगर पालिका के चुनाव अभियान का शोर थम चुका है। अब उम्मीदवार घर-घर जनसंपर्क में लगे हैं। सभी कोशिश है कि आखिर में बाजी पलट दी जाए। बसपा-भाजपा को लेकर जनप्रतिक्रिया से सपा को उम्मीद है कि वह अंसारी बंधुओं के अभेद किले को ढाह देगी। सपा के प्रचार अभियान को वरिष्ठ नेता राजेश राय पप्पू अकेले अपने दम पर चलाए हैं। उम्मीदवार समेत कार्यकर्ताओं ने भी प्रचार अभियान के लिए पार्टी के किसी और बड़े नेता की डिमांड नहीं की। पिछले चुनाव में पार्टी उम्मीदवार रईश अंसारी के खाते में कुल चार हजार 306 वोट पड़े थे और वह तीसरे नंबर पर थे। सपा की रणनीति ‘एमवाई’ की है। 

मतलब मुस्लिम और यादव। पार्टी को यकीन है कि परंपरागत यादव वोट दूर नहीं जाएगा और मुस्लिम अंसारी बंधुओं के राज से अकुता कर हममजहब सपा उम्मीदवार का साथ देंगे। अपने चुनाव अभियान में पार्टी के वरिष्ठ नेता राजेश राय पप्पू मुसलमानों के बीच यही बात उठाते रहे कि अंसारी बंधु मुस्लिम वोटरों के बूते नगर पालिका की सालों सत्ता संभाले लेकिन उसके बदले नगर को दिए क्या। जर्जर सड़कें, बजबजाती नालियां। अंधेरी गलियां। जलजमाव। वह यहां तक कहते रहे कि यह चुनाव विधानसभा या लोकसभा का नहीं है कि मुसलमान अंसारी बंधुओं का साथ दोने की सोचेंगे। 

यह चुनाव अपने नगर की तरक्की, खुशहाली तय करने का मौका है। लिहाजा, मुसलमान बदलाव लाएं। उधर भाजपा प्रचार अभियान के आखिर तक अपने गृह कलह से ही उबर नहीं पाई। पार्टी के बागी उम्मीदवार संदीप गुप्त दीपू का अभियान भाजपा के अधिकृत उम्मीदवार दिनेश वर्मा से बीस नहीं तो उन्नीस भी नहीं रहा है। यह ठीक है कि भाजपा के अभियान में संचार एवं रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा से लगायत कई दिग्गजों ने हिस्सेदारी की लेकिन पार्टी कार्यकर्ताओं का एक धड़ा बागी दीपू का साथ नहीं छोड़ा। 

दीपू के लोगों का कहना है कि पार्टी विधायक अलका राय की पसंद वही थे लेकिन राजनीतिक साजिश के तहत उन्हें टिकट नहीं दिया गया। इसको लेकर आम कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। वैसे देखा जाए तो चुनाव में भाजपा और सपा को खोने के लिए कुछ नहीं है। अलबत्ता, मौका मिला तो उन्हें करने को बहुत कुछ रहेगा लेकिन बसपा के लिए यह चुनाव प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है। 

यही वजह है कि पार्टी के पूर्व सांसद अफजाल अंसारी से लगायत पूर्व विधायक सिबगतुल्लाह अंसारी, उनके पुत्र मन्नू अंसारी तक प्रचार अभियान के लिए पूरा वक्त निकाले। उन्होंने फिर अपने पक्ष में मुसलमानों को लामबंद करने के लिए उन्होंने जज्बाती तकरीरें भी दी। इससे साफ है कि अंसारी बंधु भी भाजपा के बजाय सपा को अपने लिए चुनौती मान रहे हैं। जानकारों का कहना है कि मौजूदा सूरतेहाल में नतीजा चौंकाने वाला भी आ सकता है। रही बात चेयरमैन पद के अन्य उम्मीदवारों की तो उनकी मौजूदगी औपचारिकता भर रहेगी।
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