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अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाती है भारतीय संस्कृति- गोरखनाथ तिवारी

गाजीपुर। जीवनोदय शिक्षा समिति एवं सत्‍यदेव डिग्री कालेज के संयुक्‍त तत्‍वावधान में आयोजित अंतर्राष्‍ट्रीय सेमिनार के दूसरे दिन प्रथम सत्र में लोकविमर्श कार्यक्रम आयोजित किया गया। लोकविमर्श कार्यक्रम का शुभारंभ प्रो. हरि‍मोहन बुधौलिया दीप प्रज्‍जवलित करके किया। 

प्रथम वक्‍ता के रुप में गोरखनाथ तिवारी ने सुप्रसिद्ध लेखक विवेकी राय के उपन्‍यास सोनामाटी में उद्धत की गयी संस्‍कृति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज भारत 21वीं शताब्‍दी में प्रवेश कर चुका है। लेकिन आज भी हम अपनी संस्‍कृति को भुला नही पाये। आज हमारी संस्‍कृति अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाली संस्‍कृति है। बीएचयू के शोध छात्र शिवप्रकाश यादव ने कहा कि लोक संस्‍कृति को अजंता की चित्र हैं। 

प्रो. रामप्रकाश कुशवाहा ने कहा कि लोक संस्‍कृति को कई तरीको से दिखाया जा सकता है। लोक संस्‍कृति सामान्‍य की संस्‍कृति है। वैश्‍विक होना खतरनाक भी हो सकता है क्‍योकि वह हमारी लोक संस्‍कृति को विलुप्‍त कर रही है। सूर्यनाथ सिंह सह सम्‍पादक जनसत्‍ता ने लोक संस्‍कृति पर कटाक्ष करते हुए कहा कि आज लोक संस्‍कृति टीवी और सिनेमा में है जिसे हम देखकर अपनाते है। उन्‍होने कहा कि विकास और संस्‍कृति में गर्ल और ब्‍वायफ्रेड का संबंध है। गांव शहर बनने के लिए परेशान है, शहर अमेरिका बनने को परेशान है। 

संस्‍कृतियां एक जगह से दूसरी जगह प्रवेश करती है। एबीपी न्‍यूज के सम्‍पादक गोकर्ण कहा कि लोक संस्‍कृति को आदिवासियों के जिंदगी से जोड़कर व्‍याख्‍या करते हुए कहा कि हमारा विकास उनकी जिंदगी छीन लिया है। धरती को बचाने के लिए हमे संकल्‍प लेना चाहिए। कार्यक्रम के अंत में डा. प्रीती सिंह, डा. सुमन सिंह, डा. सुनील सिंह, इं. अशोक कुमार सिंह, डा. तेज प्रताप सिंह, सुनील यादव ने आये हुए अतिथियों का माल्‍यार्पण कर स्‍वागत किया।

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