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गाजीपुर में लगातार घट रही दलहनी की पैदावार

गाजीपुर। जिले में दलहनी फसल की पैदावार लगातार घट रही है। यह चिंता की बात है। कृषि विज्ञान केंद्र, पीजी कॉलेज में शनिवार को हुए प्रशिक्षण कार्यक्रम में कृषि वैज्ञानिकों ने यह जानकारी दी। रबी की दलहनी फसलों में सूक्ष्म पोषण तत्वों के कार्य तथा महत्व विषयक इस गोष्ठी में मृदा विशेषत्र डॉ.डीके सिंह ने बताया कि गाजीपुर में दलहनी फसल की जोत तथा पैदावार घटने के पीछे कई कारण हैं। 

एक तो किसान धान-गेहूं की खेती पर जोर दे रहे हैं। दूसरे मिट्टी में जीवांश की मात्रा कम है और पीएच का मान बढ़ा है। फिर उकठा रोग, असंतुलित रसायनिक खाद का असंतुलित इस्तेमाल, जैविक खाद से परहेज, अधिक खरपतवार, वक्त पर बोवाई नहीं होना भी दलहनी फसल की पैदावार में कमी के कारण हैं। उनका कहना था कि दलहनी फसल की अच्छी पैदावार के लिए बोवाई से पहले राइजवियम कल्चर से बीच का उपचार जरूरी है। इससे फसल की वानस्पतिक क्षमता में वृद्धि होती है। इससे 25 से 30 प्रतिशत तक पैदावार बढ़ जाती है। 

डॉ.सिंह ने बताया कि दलहनी की फसल के लिए खाद का संतुलित इस्तेमाल भी जरूरी है। इसके तहत प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 25-30 किलो नाइट्रोजन, 40-60 किलो फॉस्फोरस, 30-50 किलो पोटाश, 30 किलो सल्फर की मात्रा होनी चाहिए। दलहनी फसलों में फॉस्फोरस के रूप में डीएपी के बजाय सिंगल सुपर फास्फेट का इस्तेमाल बेहतर होता है। इसमें 12 प्रतिशत सल्फर, 16 प्रतिशत फॉस्फोरस होता है। दलहनी फसल के उत्पादन में सल्फर का महत्वपूर्ण योगदान होता है। 

इसकी नाइट्रोजन स्थिरीकरण में अहम भूमिका होती है। यदि कोबाल्ट, बोरान तथा माल्वीडेनम का प्रयोग किया जाए तो इससे पैदावार 30 से 35 प्रतिशत बढ़ जाती है। प्रशिक्षण में कृषि विभाग के कर्मचारियों ने हिस्सेदारी की। इस मौके पर केंद्र के हेड एवं सीनियर साइंटिस्ट डॉ.दिनेश सिंह ने प्रशिक्षण  लेने वाले कर्मचारियों से अपेक्षा करते हुए कहा कि वह इसका लाभ आम किसानों तक पहुंचाएंगे। कार्यक्रम में केंद्र की डॉ.सुनीता पांडेय, आशीष कुमार वाजपेयी, मनोज कुमार मिश्र आदि भी थे।
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