सांसद विश्वनाथ गहमरी की बेटी के मैदान में उतरने से भाजपा, सपा व बसपा के गड़बड़ाये सोशल इंजिनियरिंग
गाजीपुर। नगरपालिका अध्यक्ष के लिए शासन से सामान्य महिला आरक्षण घोषित होते ही सभी दलों में सरगर्मी बढ़ गयी। एक तरफ विनोद अग्रवाल सहित कई सवर्ण पुरुष प्रत्याशियों पर चुनाव लड़ने के मंसूबों पर पानी फिर गया। इसी बीच पांच वर्षो से नगर के समस्याओं के लिए सड़क पर उतर कर समाजसेवी विवेक सिंह शम्मी ने अपनी एक अलग पहचान बनायी है।
आरक्षण के घोषणा के बाद शम्मी सिंह ने राजनीतिक अभेद्य दांव लगाते हुए अपनी माता व पूर्व सांसद विश्वनाथ सिंह गहमरी की पुत्री व तत्कालीन जनता पार्टी की जिलाध्यक्ष प्रो. एसपी सिंह की पत्नी श्रीमती प्रेमा देवी को चुनाव मैदान में उतारने का मन बना लिया है। गाजीपुर के राजनीति में पूर्व सांसद विश्वनाथ सिंह गहमरी व जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष प्रो. एसपी सिंह का नाम स्वर्ण अक्षरों में है। विश्वनाथ सिंह गहमरी ने गाजीपुर के गरीबी के मुद्दे को संसद में उठाया था जिसपर तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरु जी रो पड़े थे।
आज भी गहमरी जी का नाम जिले के राजनीति में बडे़ ही श्रद्धा से लिया जाता है। प्रो. एसपी सिंह आम जनता के नेता थें। उनकी सरलता और सहजता व ईमानदारी से वह चंद्रशेखर जी के सबसे करीबी में गिने जाते थें। हर गरीबों और मजलुमों के आवाज थें। वह बापू इंटर कालेज सादात, बैजल इंटर कालेज मिर्जापुर, सरस्वती शिशु मंदिर के प्रबंधक थे।
श्रीमती प्रेमा देवी के नाम राजनीति पटल पर आते ही भाजपा, सपा और बसपा में हलचल मच गयी है। क्योकिं गहमरी जी और एसपी सिंह की यादें आज भी नगर के लगभग हर घरो में है। जिसका सीधा प्रभाव इस चुनाव पर पड़ेगा। सबसे ज्यादा भाजपा पर यह प्रभाव दिख रहा है क्योंकि वर्तमान समय में राजपूत का एक खेमा भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से नाराज है। नेताओं को लग रहा है कि वरिष्ठ नेता गणित करके राजपूत के राजनीति को हासिये पर ला रहे हैं।