बीएचयू बवालः यूनिवर्सिटी प्रशासन ही कसूरवार, जांच रिपोर्ट में लापरवाही आई सामने
गाजीपुर। बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी(बीएचयू) में बवाल के लिए यूनिवर्सिटी प्रशासन ही कसूरवार है। स्थानीय नागरिक प्रशासन की जांच में यह तथ्य सामने आया है। वाराणसी के कमिश्नर नितिन रमेश गोकर्ण ने प्रदेश शासन के मुख्य सचिव राजीव कुमार को जांच रिपोर्ट सौंप दी है। रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि पीड़ित छेड़छाड़ से पीड़ित छात्राओं की शिकायतों पर बीएचयू प्रशासन समय रहते ध्यान दिया होता तो शायद यह नौबत नहीं आती। बीएचयू प्रशासन ने छात्राओं की बातों को पूरी तरह अनसुना किया। बिगड़ते माहौल को भी संभालने के लिए फौरी कार्रवाई नहीं हुई। बीएचयू की घटना पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बात की थी। उसके बाद मुख्यमंत्री ने इसकी जांच कराने को कहा।
जाहिर है कि जांच रिपोर्ट अब प्रधानमंत्री तक जाएगा। उस दशा में हैरानी नहीं कि बीएचयू के वाइस चांसलर प्रो.गिरीश चंद्र त्रिपाठी पर कार्रवाई होगी। कुछ नहीं तो उन्हें लंबी छुट्टी पर भेजा जा सकता है। मालूम हो कि बीते शनिवार को छात्राएं छेड़छाड़ के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दी थीं। बावजूद बीएचयू प्रशासन कुछ नहीं किया। बल्कि आंदोलनकारी छात्राएं जब वाइस चांसलर से मिलने के लिए चलीं तो उन पर लाठियां बरसाई गईं। फिर तत्काल आदेश से उन्हें छात्रावास से बेदखल भी कर दिया गया। दूर दराज की छात्राएं रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्मों पर रात गुजारीं। बीएचयू प्रशासन इस घटनाक्रम के लिए राजनीतिक भाषा बोलता रहा। वह बाहरी तत्वों की उसमें शामिल होने की बात कहता रहा। उसकी इस कार्रवाई से छात्राओं के पैरेंट्स भी गुस्से में हैं। इस मामले में करीब 1200 छात्र-छात्राओं के खिलाफ एफआइआर भी दर्ज कराई गई है। मालूम हो कि इस घटना को लेकर गाजीपुर में भी तीखी प्रतिक्रिया हो रही है। गाजीपुर के सैकड़ों छात्र बीएचयू मं पढ़ते हैं।
लिहाजा गाजीपुर में भी विरोधी दल खासकर सपा इसको लेकर मुखर है। यह भी इत्तेफाक ही है कि गाजीपुर के दो धुरंधर नेता संचार एवं रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा बीएचयू छात्रसंघ के कभी अध्यक्ष रहे तो प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री ओमप्रकाश सिंह भी बीएचयू छात्रसंघ के महामंत्री रह चुके हैं। सपा के युवा नेता डॉ.समीर सिंह का कहना है कि संभव हो कि बीएचयू की घटना को लेकर हो रही खुद की किरकिरी से भाजपा सरकार बीएचयू प्रशासन के खिलाफ कार्रवाई की औपचारिकता पूरी कर अपनी फर्जअदायगी कर दे लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वाराणसी संसदीय क्षेत्र है और घटनाक्रम की शुरुआत उनके वाराणसी प्रवास के दौरान ही हुई। अगर उन्हें छात्राओं की भावनाओं की कद्र समझ आती तो वह निश्चित रूप से वक्त निकाल कर उनसे मिले होते लेकिन उन्होंने छात्राओं से मिलना तो दूर उधर के रास्ते को ही बदल दिया। इससे साफ है कि भाजपा का बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा खोखला है। हकीकत यही है कि भाजपा की नीति पुरुषवर्चस्ववादी है।