राजर्षि उदय प्रताप सिंह जयंती समारोह: शिक्षा से ही दूर होगा देश की बेकारी व लाचारी
गाजीपुर। राजर्षि उदय प्रताप सिंह जूदेव की 167वीं जयंती सत्यदेव ग्रुप ऑफ कालेज गाधिपुरम् के प्रांगण में रविवार को आयोजित हुआ। जयंती कार्यक्रम का उद्घाटन इंटरनेशनल गीता गुरूकुल फाउण्डेशन के संस्थापक योगी आनंद ने दीप प्रज्वलन कर किया।
जयंती कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विशिष्ट अतिथि डा. अशोक कुमार उपाध्याय, प्राचार्य सतीश चंद्र महाविद्यालय ने कहा कि योग और कर्म से किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। योग और कर्म के बदौलत ही राजर्षि उदय प्रताप सिंह ने 1905 में यूपी कालेज का स्थापना कर गुलाम भारत को एक नई चेतना प्रदान किया। आज भी नई अविष्कारों का मूल सोत्र हमारे वेद और पुराण है।
पूरा विश्व आज प्रदूषण की समस्या से जूझ रहा है। इसका समाधान हमारे ऋषि-मुनियों ने हजारो वर्ष पहले निकाल लिया था। आज भी हम वृक्ष, नदियो और जानवरों की पूजा करते है और उनका सम्मान करते है, जो पर्यावरण की रक्षा में सहायक है। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डा. प्रभाकर सिंह आईआईटी बीएचयू ने बताया कि आज शिक्षा का मूल रूप अर्थ से जुड़ गया है। जिससे शिक्षा में संस्कार का आभाव होता जा रहा है।
संस्कार विहीन शिक्षा से समाज और देश का विकास नही हो सकता है। उन्होने कहा कि हमें गर्व है कि हम यूपी कालेज के छात्र है जहां पर शिक्षा के साथ संस्कार भी दी जाती है। आज हमें इंजिनियर, डॉक्टर व वैज्ञानिक के साथ-साथ एक अच्छे इंसान की आवश्यकता है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. रघुवीर सिंह तोमर महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी ने कहा कि राजर्षि उदय प्रताप सिंह देश को एक नई दिशा दी है। वह अपना राजपाठ छोड़कर भारत के जंगे-आजादी में शिक्षा की क्रांति लेकर कूद पड़ें। उन्होने शिक्षा जगत में अनेकों कार्य किये है। उनके द्वारा स्थापित यूपी कालेज देश का धरोवर है।
आज विद्या से संस्कार का प्रकाश नही मिल पा रहा है। राजर्षि शिक्षा से चरित्र निर्माण के पक्ष में थे। राजर्षि उदय प्रताप सिंह ने कहा कि जब हम अपने को राम, बुद्ध की संतान मानते हैं तो उनके जैसा आचरण क्यों नही करते है। आज राष्ट्रवादी भारतीय संस्कृति की सोच का आभाव होता जा रहा है। शिक्षक और विद्यार्थियों में कर्तव्य का आभाव होता जा रहा है, इसे दूर करना अति आवश्यक है। समारोह के अध्यक्षीय भाषण में प्रो. एसएन उपाध्याय, पूर्व निदेशक आईआई बीएचयू ने कहा कि जिस रास्ते पर महापुरूष चलें हो वही रास्ता सही होता है।
राजर्षि उदय प्रताप सिंह ऐसे ही महापुरूष थे, इनके पदचिह्नों पर चलकर ही शिक्षा के विकृतियों को दूर किया जा सकता है। शिक्षा हमारें अज्ञान और रूढियों को दूर करती है। यूपी कालेज वाराणसी का सबसे पुराना शिक्षा संस्थान है उसे अबतक विश्व विद्यालय का दर्जा मिल जाना चाहिए। वर्तमान समय में शिक्षा व्यवसाय बन गयी है, इसके वजह से इसमे गुणवत्ता और संस्कार का आभाव होता जा रहा है। इसलिए शिक्षण संस्थानों में छात्रों के व्यक्तित्व के विकास पर जोर देना चाहिए। कार्यक्रम के प्रारंभ में योगी आनंद जी ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभांरभ किया। इसके बाद आये हुए अतिथियों को माल्यापर्ण व अंगवस्त्रम् तथा प्रतीक चिह्न देकर सम्मानित किया गया।
सम्मानित होने वालों में डा. गजाधर शर्मा, शेख जैनूल आबदी, प्राचार्य सुधा त्रिपाठी, कामेश्वर दिवेदी, उमाशंकर पथिक, रामावतार, अमरनाथ तिवारी, डा. सदानंद पांडेय, डा. संतोष कुमार सिंह, डा. बद्री सिंह, डा. मानसिंह, डा. छविनाथ मिश्रा, गंगा प्रसाद सिंह, कमला शंकर यादव आदि लोग थे।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में कवि शंकर कैमूरी, कमलेश राजहंस, अखिलेश दिवेदी, डा. चेतना पांडेय ने अपने रचनाओं से उपस्थित लोगो का मंत्रमुग्ध कर दिया। समारोह में आये हुए लोगो का स्वागत सत्यदेव ग्रुप ऑफ कालेजेज के प्रबंध निदेशक डा. सांनद सिंह ने कहा कि शिक्षा से ही देश और समाज का विकास हो सकता है। हमारी यात्रा अध्यात्मपुरम् से शुरू होकर गाधिपुरम् तक पहुंची है।
शिक्षा एक माध्यम है जो जिंदगी की बेकारी और लाचारी हो दूर कर सकती है। समाज में परिर्वतन और जागरूकता केवल शिक्षा से ही हो सकता है। डा. सानंद सिंह ने कहा कि अपने पिता की प्रेरणा से ही उन्होने सत्यदेव ग्रुप ऑफ कालेजेज की स्थापना किया है। कार्यक्रम का संचालन प्रसिद्ध कवि हरिश जी ने किया।