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सुसाइड गेम: 13वां लेवल पार करते ही किशोर ने होंठ जख्मी करते हुए बनाया अपने हाथ पर ब्लू व्हेल

सैदपुर। खौफनाक तौर पर दुनिया के कई देशों में अपनी जड़ें फैला चुके आनलाइन गेम ब्लू व्हेल की चपेट में अब सैदपुर के बच्चे भी आ चुके हैं। बुधवार की देरशाम नगर में ऐसा ही एक मामला सामने आया। घटना का पता चलते ही जहां किशोर के घर पर लोगों की भीड़ लग गई वहीं उसे समझाने के लिए खुद पुलिस कप्तान सहित पूरी पुलिस फोर्स उसके घर पर पहुंच गई। मामला नगर स्थित कोतवाली के ठीक पीछे सोनकर बस्ती का है। जहां के राजेश सोनकर का पुत्र जितेंद्र सोनकर 16 नगर के ज्ञानभारती स्कूल में कक्षा 11 का छात्र है। पिता राजेश भिलाई में रहकर काम करते हैं वहीं जितेंद्र घर पर मां सुनीता सोनकर व इकलौती छोटी बहन सोनाली सोनकर के साथ रहता है। बीते कुछ दिनों से वो गेम की जद में आ गया और बिना किसी की जानकारी के उसने गेम के 13 स्टेज पार भी कर लिए। इस दौरान उसने अपने को चोटिल करते हुए जहां ब्लेड से अपना होंठ जख्मी कर लिया वहीं अपने बाएं हाथ पर उसने ब्लेड से मछली भी बना ली है। 

लेकिन 14वां स्टेज खेलने से पूर्व ही उसके विद्यालय के सहपाठियों को पता चल गया और उन्होंने शिक्षकों को सूचित कर दिया। जिसके बाद शिक्षक उसके घर पहुंचे और उसे समझाया बुझाया। इसके बाद तत्काल क्षेत्राधिकारी सत्यम मिश्र को सूचित किया। मौके पर पहुंचे सीओ ने काफी देर तक उसे समझाया बुझाया और काफी मशक्कत के बाद उससे गेम का यूजर आईडी व पासवर्ड भी हासिल कर लिया। वहीं इस बाबत सूचना मिलने पर देररात करीब 11 बजे खुद पुलिस कप्तान सोमेन बर्मा भी छात्र के घर पहुंचे और उसकी काउंसिलिंग कर उसे समझाया और आगे से गेम न खेलने की नसीहत दी। अगले दिन छात्र को लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे और लेकिन चिकित्सकों ने उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया। 

वहां उसकी मानसिक स्थिति गड़बड़ देख चिकित्सकों ने उसे वाराणसी मनोचिकित्सक के यहां रेफर कर दिया। बुधवार को भी सीओ द्वारा द्वारा काफी पूछने पर उसने बताया कि इस गेम के बारे में वो कई दिनों से सुन रहा था तो उसने फेसबुक पर किसी सीक्रेट ग्रुप में जाकर इस गेम का लिंक खोजा और करीब 15 दिनों पूर्व से खेलना शुरू कर दिया। पहले स्टेज में उसे अपने शरीर पर पेन से ‘एफ47’ अंकित करना था। वहीं दूसरे में उसे ब्लेड से अपना होंठ काटने का टास्क मिला। तीसरे टास्क में भोर के 4 बजकर 20 मिनट पर घर की पहली मंजिल पर जाकर उसे हारर मूवी देखना था। चैथे, पांचवें व छठें टास्क में दूसरी मंजिल पर जाकर यही काम करना था। सातवें उसे एक वीडियो क्लिप भेजा गया जिसे अकेले ध्यान से देखना था। आठवें, नौवें व दसवें में उसे बारी बारी दो दो दिनों तक किसी से बात नहीं करनी थी। 11वें में देररात किसी ऊंचे स्थान पर जाना था। ऐसे में ये बगल में ही गंगा नदी पर बने पुल पर चला गया था। इस दौरान हर टास्क के पूरा करने के बाद उसे अपनी आनलाइन रिपोर्ट देनी होती थी। 

निर्देश देने वाला उसे ये धमकी देता था कि अगर इस टास्क को पूरा नहीं करोगे तो तुम्हारे माता पिता को मार दिया जाएगा। इसके अलावा तुम्हारी सारी जानकारी अब हमारे पास है। इन सबके कारण जितेंद्र हर बात को क्रमशः मानता चला गया। इतने स्टेज को पूरा करने के दौरान वो अब घर व विद्यालय में किसी से बात भी न करता और गुमसुम रहने लगा था। इसके अलावा वो बेहद चिड़चिड़ा भी हो गया था। गुस्सा इतना आने लगा था किसी बात पर कुछ दिनों पूर्व  गुस्से में उसने मोबाइल भी तोड़ दिया थी। 

जिसके बाद से वो साइबर कैफे में जाकर आगे का गेम खेलने लगा। 13वें टास्क में उससे कहा गया कि अपने हाथ पर ब्लेड से मछली बनाओ। इस पर उसने अपने स्कूल में ही बाथरूम में जाकर हाथ पर ब्लेड से मछली बना ली। बाथरूम से जब वो वापस आया तो उसके सहपाठियों ने उसके हाथ पर खून देखकर शिक्षकों से शिकायत की। इसका संज्ञान लेते हुए शिक्षकों ने उसे समझाया और शाम को उसके घर गए। 

काफी देर तक समझाने के बाद पुलिस को भी सूचित किया। कप्तान व सीओ समेत कोतवाल उसके घर जाकर उसकी काउंसिलिंग किए। मां ने भी काफी समझाया इसके बाद तब जाकर उसने गेम का यूजर नेम व पासवर्ड पुलिस को दिया। कप्तान व सीओ ने समझाया कि आजकल अकेलेपन के शिकार बच्चों के लिए मोबाइल सबसे अच्छा दोस्त का काम करता है। ऐसे में वो मोबाइल पर क्या करते हैं ये अभिभावकों को देखना आवश्यक है। गौरतलब है कि छात्र किशोर के पिता दूसरे प्रदेश में रहकर काम करते हैं। 

ऐसे में वो अपने घर में अपनी मां व इकलौती बहन के साथ रहता था। समय बिताने के लिए उसने दोस्तों की बजाय मोबाइल को अपना साथी चुना था। जिसके कारण ये स्थिति देखने को मिली। ऐसी ही स्थिति नगर के पूरब बाजार स्थित कुछ अन्य लड़कों के साथ भी कुछ दिनों पूर्व हुई थी। लेकिन पहले स्टेज रहने के दौरान ही उसके शिक्षक को पता चल गया जिसके बाद उसे वहीं पर रोक लिया गया। पहले स्टेज तक खेलने वाले किशोर छात्र ने बताया कि उसने इस गेम को अपने साथियों को भी खेलने को दिया था। लेकिन वो भी समय रहते चेत गए। बहरहाल गेम की जद में आए किशोर को अब काउंसिलिंग के लिए मनोचिकित्सक के यहां वाराणसी भेजा गया है।

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