फर्जी बाबाओं के खिलाफ पहले ही आखाड़ा परिषद को उठाना चाहिए था कदमः भवानीनंदन
गाजीपुर। हथियाराम मठ के महंत महामंडलेश्वर भवानीनंदन यति जी महाराज फर्जी बाबाओं के खिलाफ अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की कार्रवाई से सहमत हैं लेकिन उनका यह भी कहना है कि संतों-साधुओं की इस सर्वोच्च संस्था की यह कार्रवाई विलंब से हुई है।
गाजीपुर न्यूज़ से रविवार को बातचीत में श्री भवानीनंदन ने कहा कि सच्चे डेरा के प्रमुख रामरहीम पर बहुत पहले अमार्यादित आचरण के आरोप लगे थे लेकिन तब परिषद ने उस पर ध्यान नहीं दिया। इसी तरह आशा राम बापू सालों से जेल में हैं लेकिन उन पर कार्रवाई अब हुई है। अगर आखाड़ा परिषद ऐसे स्वंभू संतों-महात्माओं पर पहले ही कार्रवाई करे तो भोले-भाले भक्त उसके बेजा शिकार बनने से बच जाएंगे।
संत-महात्माओं के भौतिक संसाधनों के सवाल पर उनका कहना था कि आज के परिवेश में संसाधानों की अहमियत है लेकिन इनका उपयोग आध्यात्मिक तथा धार्मिक कार्य में ही होना चाहिए। व्यक्तिगत सुख-भोग की दशा में उन संसाधनों का दुरुपयोग संभावित है। अपनी बात की पुष्टि में भवानीनंदन जी ने कहा कि लौकिकता से ही अलौकिकता की ओर जाने का रास्ता मिलता है। शुद्ध आत्मा से ही परमात्मा का मिलन होता है। बताए कि इस समय उनकी पहली प्राथमिकता अपने गुरुओं की इस पीठ के आभा मंडल को और सुदृढ़ करना है। गुरुओं के शुरू किए गए पुण्य कार्यों को और विस्तार देने की है। इसके लिए वह मठ में पूरा समय दे रहे हैं। भवानीनंदन महाराज ने बताया कि आखाड़ा परिषद में दत्तात्रेय अखाड़ा प्रमुख है। सारे संत-साधु दत्तात्रेयजी महाराज को इष्ट देव मानते हैं। आखाड़ा परिषद उपलब्धियों पर संतों को पदोन्नति देता है तो कार्रवाई भी करता है। राधे मां को महामंडलेश्वर से पदच्युत करने की कार्रवाई आखाड़ा परिषद की दंडात्मक कार्रवाई का ही हिस्सा था। मालूम हो कि वर्तमान में महामंडलेश्वरों में भवानीनंदन जी महाराज का छठवां स्थान है।