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गाजीपुर साधू-संतो की रही है भूमि- रहमान

गाजीपुर। तन के चलता हूं मैं तुम्हारे सबब तुम मेरा फख्र हो गुरूर हो तुम, तुम गाज़ीपुर हो ग़ाज़ीपुर साधु-संतों की भूमि रही है यहां गौतम बुद्ध आए तो स्वामी विवेकानंद भी आए रविंद्र नाथ टैगोर ने अपने मधुर चंद्रिका के लिए गुलाबों की खेती एवं खुशबू के लिए मशहूर गाजीपुर को चुना। यहां हजारों साल पुराने मठ, मंदिर, किला, मजारें, मस्जिद, सजीव एवं भग्नावशेष में मौजूद हैं। 

उपरोक्त बातें गाजीपुर के “फाहियान” कहे जाने वाले चर्चित इतिहासकार अब्दुर रहमान सिद्दीक़ी ने राजकीय महिला पीजी कॉलेज में प्रसार व्याख्यानमाला के तहत आयोजित गाजीपुर के  इतिहास विषय के संदर्भ में अपने व्याख्यान के तहत कहीं। हृवेनसांग ने गाजीपुर को वीरों की धरती “चेंचू” कहा तो अंग्रेज पुरातत्ववेत्ताओं ने स्कंद गुप्त के  स्तंभ एवं अशोक के लाट के माध्यम से यहां के इतिहास को अभिलेखिकरण एवं संरक्षित करने का कार्य किया। 

आपके अनुसार अभी भी गाजीपुर का इतिहास अधूरा बिखरा एवं धरती में कैद है इसे बाहर लाना होगा तथा गाजीपुर के इतिहास को भारतीय इतिहास  में पहचान दिलानी होगी।  इसके पूर्व अतिथि वक्ता का अंगवस्त्रम पुष्पगुच्छ एवं स्वरचित पुस्तकें भेंट कर प्राचार्य प्रोफेसर डॉक्टर सविता भारद्वाज द्वारा स्वागत किया गया आपने इतिहास के शोधार्थी  एवं  अध्येवेता से गाजीपुर का इतिहास के जानकार स्वयं को गौरवान्वित महसूस किया । 

अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में प्राचार्य महोदया ने छात्राओं को अपने इतिहास एवं विरासत में रुचि लेने एवं सजाने के प्रति निष्ठा भाव उत्पन्न करने के लिए प्रेरित किया इतिहास विभाग की डॉक्टर सारिका सिंह ने अतिथि वक्ता के व्यक्तित्व एवं कृतित्व से परिचय कराया तथा इतिहास के अप्रकाशित एवं अनकहे प्रश्नों पर प्रकाश में लाने के लिए धन्यवाद ज्ञापन डॉक्टर विकास सिंह प्राचीन इतिहास विभाग के द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन एवं संयोजन डॉक्टर संतन कुमार राम एवं मीडिया के संदर्भ में जानकारी डॉक्टर शिव कुमार द्वारा दी गई इस अवसर पर भारी संख्या में छात्राएं एवं महाविद्यालय के सभी प्राध्यापक गण उपस्थित रहे।

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