प्रभारी मंत्री के निर्देश को दिखा रहा ठेंगा, तबादला रोकवाने की कोशिश में जुटा बहुचर्चित एबीएसए
गाजीपुर। बेसिक शिक्षा विभाग के बहुचर्चित एबीएसए राजेश यादव को प्रभारी मंत्री ब्रजेश पाठक के निर्देश की कतई परवाह नहीं है। श्री पाठक के निर्देश पर तत्काल प्रभाव से इधर-उधर किए गए एबीएसए की सूची में श्री यादव भी शामिल थे। उन्हें मुहम्मदाबाद से नगर एबीएसए पद पर स्थानांतरित किया गया लेकिन जनाब अब तक कार्यभार नहीं लिए। कारण बताया जा रहा है कि अव्वल तो नगर में मात्र 30 विद्यालय हैं।
इसमें ज्यादा मनमानी की गुंजाइश नहीं रहेगी। दूसरे प्रशासन की बराबर नजर रहेगी। चर्चा है कि श्री यादव अपने इस स्थानांतरण को हाईकोर्ट में चुनौती देने की तैयारी में हैं। आधार यह बना रहे हैं कि उनके स्थानांतरण का अधिकार बीएसए को नहीं है। मजे की बात कि एक वक्त रहा जब वह खुद बेजा अधिकार का इस्तेमाल कर कई शिक्षकों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराए और उन्हें जेल तक भेजवाए। शिक्षक चंद्रशेखर त्रिपाठी पर एफआइआर के मामले में विभागीय सचिव ने बकायदा लिखा कि एबीएसए को इस कार्रवाई का कोई अधिकार नहीं है। पूर्ववर्ती सपा सरकार में विभाग में अपनी हनक दिखाते रहे राजेश यादव को मौजूदा वक्त में भी विभाग के अधिकारियों का पूरा संरक्षण मिल रहा है। इसकी पुष्टि इससे भी होती है कि शासन के आदेश पर उनके खिलाफ जांच में कोई तत्परता नहीं दिखाई जा रही है।
विशिष्ट बीटीसी शिक्षक एसोसिएशन के अध्यक्ष अनंत सिंह ने मुख्यमंत्री से एबीएसए के खिलाफ मय साक्ष्य शिकायत की थी। बताए कि मुहम्मदाबाद एबीएसए रहते राजेश यादव किस तरीके से बीआरसी का धन अपने निजी खाते में जमा कराए और फिर अपने चहेतों के नाम चेक काट कर धन की बंदरबांट किए। विभागीय योजनाओं में कमीशन नहीं देने वाले शिक्षकों को किस तरह झूठे मामले में फंसाए और उन्हें जेल तक भेजवाए। साथ ही राजेश यादव की आज तक सर्विस बुक विभाग में उपलब्ध नहीं है।
श्री सिंह की इन शिकायतों को मुख्यमंत्री गंभीरता से लिए। उसके बाद शासन ने जांच का आदेश दिया। पहले तो वह आदेश बीएसए ऑफिस में दबा रहा। जब श्री सिंह ने दबाव बनाया तो दिखावे के लिए पिछले माह तीन सदस्यीय कमेटी बना दी गई। गौर करने की बात यह कि उस कमेटी में एबीएसए स्तर के अधिकारियों को रखा गया जबकि नियमतः इसकी जांच बीएसए अथवा उनके समकक्ष अधिकारी को करना चाहिए। फिर कमेटी में उन्हीं को रखा गया जो राजेश यादव के करीबी माने जाते हैं। हालांकि उसमें नगर एबीएसए सीताराम ओझा सेवानिवृत्त हो गए। तब बीएसए श्रवण कुमार गुप्त ने बीते 14 सितंबर को दूसरी कमेटी बनाई।
उसमें भी ऐसा ही हुआ। कमेटी में मुहम्मदाबाद एबीएसए राघवेंद्र प्रताप सिंह, बाराचवर एबीएसए अखिलेश कुमार झा तथा सर्व शिक्षा अभियान के सहायक वित्त एवं लेखाधिकारी अरुण प्रकाश सक्सेना को रखा गया है। शिक्षकों की मानी जाए तो कमेटी में शामिल दोनों एबीएसए राजेश यादव के खास हैं। बीएसए ने कमेटी से एक सप्ताह में रिपोर्ट सौंपने को कहा है। उधर एबीएसए राजेश यादव के खिलाफ भाजपा एमएलसी विशाल सिंह चंचल भी मुख्यमंत्री से लिखित शिकायत कर चुके हैं। उनका भी कमोवेश वही आरोप है। उनकी शिकायत पर भी जांच शुरू है। इसकी जिम्मेदारी प्रिंसिपल डायट सैदपुर कोमल यादव कर रहे हैं।
विभागीय अनियमितता तथा तानाशाही को लेकर ही राजेश यादव नहीं चर्चित रहे हैं। बल्कि व्हॉट्सअप के ग्रुप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अमर्यादित टिप्पणी को लेकर भी वह सुर्खियां बटोर चुके हैं। उस मामले में भाजयुमो के प्रदेश मंत्री योगेश सिंह शहर कोतवाली में एफआईआर दर्ज करा चुके हैं। इसे लेकर नगर भाजपा अध्यक्ष रासबिहारी राय भी डीएम से मिले हैं। श्री यादव के अब तक नगर एबीएसए का कार्यभार नहीं संभालने को लेकर ग़ाज़ीपुर न्यूज़ ने शनिवार की सुबह साढ़े 11 बजे बीएसए श्रवण कुमार से फोन पर संपर्क किया। कॉल रिसीव कर बताए कि वह फिलहाल डीएम साहब की बैठक में हैं। बाद में बात करेंगे लेकिन फिर कई प्रयास के बाद भी उनसे संपर्क नहीं हो पाया है।