पूर्व पुलिस कप्तान सुभाषचंद्र दूबे बहाल
गाजीपुर। भारतीय प्रशासनिक सेवा के एनपी सिंह तथा भारतीय पुलिस सेवा के अफसर सुभाषचंद्र दूबे का निलंबन प्रदेश शासन ने गुरुवार को वापस ले लिया। दोनों अफसार सहारनपुर दंगा के मामले में निलंबित किए गए थे। दोनों अफसरों की छवि ईमानदार, कर्मठ और बेदाग मानी जाती है।
गाजीपुर के लोग एनपी सिंह के बारे में बहुत कुछ नहीं जानते लेकिन सुभाषचंद्र दूबे की कार्यशैली, व्यवहार से बखूबी परिचित हैं। दरअसल दो बार वह गाजीपुर के पुलिस कप्तान रहे। पहली बार वर्ष 2010 में बसपा की सरकार ने इनकी तैनाती गाजीपुर की थी। स्वभाव के कारण उन्होंने तत्कालीन बसपा विधायक पशुपतिनाथ राय से पंगा ले लिए और कुछ ही माह बाद उनका तबादला हो गया। दूसरी बार गाजीपुर के पुलिस कप्तान पद पर उनकी तैनाती निर्वाचन आयोग ने इसी साल फरवरी में की थी।
उनकी यह तैनाती अरविंद सेन की जगह हुई थी। जाहिर है कि आयोग ने विधानसभा चुनाव की निष्पक्षता प्रभावित होने की संभावना को देखते हुए श्री सेन को हटा कर श्री दूबे को गाजीपुर का पुलिस कप्तान बनाया था। विधानसभा चुनाव में उन्होंने पूरी निष्पक्षता और तत्परता दिखाई। कहीं कोई हिंसा अथवा बेईमानी का आरोप नहीं लगा। चुनाव बाद भाजपा की प्रदेश में सरकार बनी तो उन्हें अप्रैल में सहारनपुर का एसएसपी बनाया गया। तब सहारनपुर जातीय हिंसा में झुलस रहा था लेकिन उन्हें 23 मई को डीएम के साथ ही निलंबित कर दिया गया। अब जबकि श्री दूबे की फिर से बहाली हो गई है तो उन्हें चाहने वाले गाजीपुर के लोग खुश हैं।
दरअसल श्री दूबे का मानना है कि किसी और का नहीं जनतंत्र का दबाव माना जाना चाहिए। जनता में पुलिस का इकबाल बुलंद होना चाहिए। पुलिस महकमे में भी वह लोकप्रिय हैं लेकिन वह खुद उन पुलिस कर्मियों को नहीं बख्शते जो लापरवाह, बेईमान होते हैं। हालांकि शासन ने श्री दूबे की दोबारा बहाली के बाद फिलहाल नई तैनाती नहीं दी है।