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श्रद्धापूर्वक मनी सोमवती अमावस्या

सोमवती अमावस्या का पर्व पर सोमवार को श्रद्धापूर्वक मनाया गया। प्रात:काल श्रद्धालुओं ने गंगा में स्नान किया। इसके बाद सूर्य नारायण की पूजा की। फिर तुलसी के पौध में जल देकर सुख-समृद्धि की कामना की। इसके उपरांत भगवान शिव का जलाभिषेक करने के बाद पीपल वृक्ष की विधिपूर्वक पूजा की गयी। श्रद्धालु महिलाओं ने दूध, दही, फूल, चावल, हल्दी, काला तिल व सोलह श्रृंगार का सामान अर्पित किया।

वैसे अमावस्या तिथि तो हर माह पड़ती है, लेकिन सोमवती अमावस्या का महत्व सबसे ज्यादा होता है। क्योंकि इस दिन का संबंध भगवान शिव से होता है। ऐसे में सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहा जाता है। यह पर्व महिलाओं के लिए खास होता है। महिलाएं पति की दीर्घायु और कुआरी कन्याएं मनचाहा पति के लिए यह पूजा खास तौर पर करती हैं। इस पर्व को लेकर नगर के प्रमुख गंगाघाटों पर श्रद्धालुओं भीड़ लगी रही। नगर के ददरीघाट पर ग्रामीण क्षेत्रों से महिलाओं की भीड़ पहुंचती रही और स्नान करने के बाद निकट स्थित शिव मंदिर व पीपल के वृक्ष की विधिपूर्वक पूजा की। पति की दीर्घायु की कामना करने के साथ ही परिवार के सुख-शांति की कामना की।

वहीं कुआरी कन्याओं ने भी इस पूजन को कर अपने लिए मनचाहा पति मिलने की कामना की। पितृ दोष दूर करने के लिए भी यह पूजा खास महत्वपूर्ण माना जाता है। जमानियां संवाद के अनुसार सैकड़ों महिलाओं पुरुषों ने नगर के पक्का बलुआ घाट पर एकत्रित हुए और गंगा में डुबकी लगाकर पूजन अर्चन कर दान पुण्य किया। सोमवार को सूर्य ग्रहण के साथ ही सोमवती अमावस्या पर श्रद्धालुओं ने मौन व्रत के साथ गंगा स्नान कर मंदिरों में पूजन अर्चन व जाप किया। अपने सामथ्र्यानुसार गरीबों व ब्राह्मणों में दान पुण्य किया। माना जाता है कि इस दिन गंगा का जल अमृत के समान हो जाता है। इस दौरान गंगा में डुबकी लगाने व मंत्रों का जाप करने से सभी पापों का नाश होता है। इसका बहुत लाभ है। सोमवती अमावस्या पर होने के चलते नगर के गंगा घाटों पर स्नानाथियों का हुजुम उमड़ता रहा। लोगों ने पूरी श्रद्धाभक्ति के साथ पूजन अर्चन किया। 
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