हरितालिका तीज: अखण्ड सुहाग के लिए महिलाओं ने रखा निर्जला व्रत
हरितालिका तीज के पावन पर्व पर महिलाओं ने गुरुवार को निर्जला व्रत रखकर शिव-पार्वती की विधि पूर्वक पूजा-अर्चना कर अखण्ड सुहाग की मंगलकामना की। पर्व के चलते गंगा घाटों पर श्रद्धालु महिलाओं की भीड़ जुटी रही। साथ ही देवाधिदेव भगवान शिव के मंदिरों में दर्शन-पूजन कर व्रती महिलाओं ने सुहाग के मंगल कामना के लिए भगवान से मिन्नतें मांगी और पुजारी से व्रत कथा का श्रवणकर आशीर्वाद लिया।
भाद्र पद माह के शुक्ल पक्ष में जब चन्द्रमा कन्या राशि और हस्त नक्षत्र में प्रवेश करता है, तो इस दिन को हरितालिका तीज कहते हैं। इस व्रत का यह महत्व है कि अगर कुंवारी कन्या इस व्रत को विधि विधान से पूजन करती है, तो उसे सुयोग्य वर मिलता है और अगर सुहागिनें इस व्रत को करती हैं, तो उनके पति को लम्बी उम्र की प्राप्ति होती है। माता पार्वती ने भगवान शंकर को पाने के लिए जंगल में जाकर घोर तपस्या की थी। इसपर भगवान भोलेनाथ ने वर दिया कि जो महिला इस व्रत को श्रद्धाभाव के साथ करेगी, उसका सुहाग दीर्घकाल तक जीवित रहेगा। इसी मान्यता को लेकर सभी महिलाएं पर्व पर निर्जला व्रत रहती हैं। गंगा स्नान से लेकर शिव मंदिरों में दर्शन पूजन करने का क्रम देर शाम तक चलता रहा। महिलाओं ने नया परिधान धारण कर सोलह श्रृंगार कर घर व मंदिरों में शिव-पार्वती की पूजन-अर्चन करते हुए पति के दीर्घायु के लिए भोलेनाथ से आशीर्वाद प्राप्त किया। मंदिर पर सुहागिन महिलाएं इकट्ठा होकर व्रत कथा का श्रवण भी किया। पूजन में फल आदि का प्रसाद चढ़ा कर घर के सभी सदस्यों में वितरित किया।
व्रती महिलाएं के लिए अनुकल रहा मौसम
पिछले कई दिनों से पड़ रही गर्मी व उमस से जहां लोग परेशान हो गये थे, वहीं बुधवार की शाम हुई बूंदाबांदी व गुरुवार को आसमान में बादल के छाये रहने से व्रती महिलाओं को राहत मिलती रही। आसमान में काले बादल को देख ऐसा प्रतीत हो रहा था कि महादेव व माता पर्वती ने हरितालिका तीज की व्रती महिलाओं का आधा कष्ट दूर कर दिया हो।
सौन्दर्य सामग्री की हुई खरीदारी
हरतालिका तीज को लेकर बाजारों में सौंदर्य प्रसाधनों की दुकानों पर बुधवार के अलावा गुरुवार की सुबह भी भीड़भाड़ बनी रही। सजने-संवरने के लिए महिलाओं ने अपने जरूरतों के हिसाब से सामानों की खरीदारी की। वहीं जहां उम्रदराज महिलाएं घर पर ही सजती-संवरती रहीं, तो कम उम्र की अधिकांश महिलाएं ब्यूटी पार्लर पहुंचकर अपने चेहरे का फेशियल और ब्लीच कराती रहीं।
इमरती के लिए जुटे रहे लोग
हरतालिका तीज के एक दिन पहले बुधवार की देरशाम मिश्रबाजार स्थित मिठाइयों की दुकानों पर पुरुष घेरा बनाये खड़े नजर आये। ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई मदाड़ी का खेल चल रहा हो और लोग उसे देखने के लिए जुटे हैं। जब पास जाकर माजरा समझा गया, तो पता चला कि यहां तो गरमागरम इमरती का खेल चल रहा है और मदारी बना बैठा था इमरती बनाने वाला, जो हाथ में लोहे की सींक के सहारे दनादन इमरती बनाकर चासनी में डुबो और निकाल रहा था और जल्दी से गरमागरम लेकर घर निकलने के लिए पुरुष घेरा बनाये खड़े थे। मिठाई विक्रता ने बताया कि हरितालिका तीज पर इमरती खाकर व्रत प्रारंभ करने व इमरती खाकर व्रत का पारण करने की परम्परा यहां की बहुत ही पुरानी है। इमरती की कीमत 160 रुपये प्रतिकिलो रही।
विधिपूर्वक हुआ पूजन-अर्चन
पति की दीर्घायु के लिये महिलाओं ने निर्जला व्रत रखा। मंदिरों में व घर में भोलेनाथ व माता पार्वती की विधिविधान से पूजन अर्चन की गयी। मंदिरों में मत्था टेका और पति की लम्बी उम्र के लिये कामना की। शिव मंदिरों में दर्शन पूजन करने का क्रम देर शाम तक चलता रहा।
बुजुर्गों का लिया आशीर्वाद
हरतालिका तीज पर क्षेत्र की व्रती सुहागिन महिलाएं विभिन्न मंदिरों में गंगा स्नान कर दर्शन पूजन की और बुजुर्गों का आशीर्वाद लिया। हरतालिका तीज पर व्रती महिलाओं ने गंगा घाट, ताड़ीघाट, भगीरथपुर, मलसा, मतसा आदि गंगा घाट पर पहुंचकर भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा की।
भाद्र पद माह के शुक्ल पक्ष में जब चन्द्रमा कन्या राशि और हस्त नक्षत्र में प्रवेश करता है, तो इस दिन को हरितालिका तीज कहते हैं। इस व्रत का यह महत्व है कि अगर कुंवारी कन्या इस व्रत को विधि विधान से पूजन करती है, तो उसे सुयोग्य वर मिलता है और अगर सुहागिनें इस व्रत को करती हैं, तो उनके पति को लम्बी उम्र की प्राप्ति होती है। माता पार्वती ने भगवान शंकर को पाने के लिए जंगल में जाकर घोर तपस्या की थी। इसपर भगवान भोलेनाथ ने वर दिया कि जो महिला इस व्रत को श्रद्धाभाव के साथ करेगी, उसका सुहाग दीर्घकाल तक जीवित रहेगा। इसी मान्यता को लेकर सभी महिलाएं पर्व पर निर्जला व्रत रहती हैं। गंगा स्नान से लेकर शिव मंदिरों में दर्शन पूजन करने का क्रम देर शाम तक चलता रहा। महिलाओं ने नया परिधान धारण कर सोलह श्रृंगार कर घर व मंदिरों में शिव-पार्वती की पूजन-अर्चन करते हुए पति के दीर्घायु के लिए भोलेनाथ से आशीर्वाद प्राप्त किया। मंदिर पर सुहागिन महिलाएं इकट्ठा होकर व्रत कथा का श्रवण भी किया। पूजन में फल आदि का प्रसाद चढ़ा कर घर के सभी सदस्यों में वितरित किया।
व्रती महिलाएं के लिए अनुकल रहा मौसम
पिछले कई दिनों से पड़ रही गर्मी व उमस से जहां लोग परेशान हो गये थे, वहीं बुधवार की शाम हुई बूंदाबांदी व गुरुवार को आसमान में बादल के छाये रहने से व्रती महिलाओं को राहत मिलती रही। आसमान में काले बादल को देख ऐसा प्रतीत हो रहा था कि महादेव व माता पर्वती ने हरितालिका तीज की व्रती महिलाओं का आधा कष्ट दूर कर दिया हो।
सौन्दर्य सामग्री की हुई खरीदारी
हरतालिका तीज को लेकर बाजारों में सौंदर्य प्रसाधनों की दुकानों पर बुधवार के अलावा गुरुवार की सुबह भी भीड़भाड़ बनी रही। सजने-संवरने के लिए महिलाओं ने अपने जरूरतों के हिसाब से सामानों की खरीदारी की। वहीं जहां उम्रदराज महिलाएं घर पर ही सजती-संवरती रहीं, तो कम उम्र की अधिकांश महिलाएं ब्यूटी पार्लर पहुंचकर अपने चेहरे का फेशियल और ब्लीच कराती रहीं।
इमरती के लिए जुटे रहे लोग
हरतालिका तीज के एक दिन पहले बुधवार की देरशाम मिश्रबाजार स्थित मिठाइयों की दुकानों पर पुरुष घेरा बनाये खड़े नजर आये। ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई मदाड़ी का खेल चल रहा हो और लोग उसे देखने के लिए जुटे हैं। जब पास जाकर माजरा समझा गया, तो पता चला कि यहां तो गरमागरम इमरती का खेल चल रहा है और मदारी बना बैठा था इमरती बनाने वाला, जो हाथ में लोहे की सींक के सहारे दनादन इमरती बनाकर चासनी में डुबो और निकाल रहा था और जल्दी से गरमागरम लेकर घर निकलने के लिए पुरुष घेरा बनाये खड़े थे। मिठाई विक्रता ने बताया कि हरितालिका तीज पर इमरती खाकर व्रत प्रारंभ करने व इमरती खाकर व्रत का पारण करने की परम्परा यहां की बहुत ही पुरानी है। इमरती की कीमत 160 रुपये प्रतिकिलो रही।
विधिपूर्वक हुआ पूजन-अर्चन
पति की दीर्घायु के लिये महिलाओं ने निर्जला व्रत रखा। मंदिरों में व घर में भोलेनाथ व माता पार्वती की विधिविधान से पूजन अर्चन की गयी। मंदिरों में मत्था टेका और पति की लम्बी उम्र के लिये कामना की। शिव मंदिरों में दर्शन पूजन करने का क्रम देर शाम तक चलता रहा।
बुजुर्गों का लिया आशीर्वाद
हरतालिका तीज पर क्षेत्र की व्रती सुहागिन महिलाएं विभिन्न मंदिरों में गंगा स्नान कर दर्शन पूजन की और बुजुर्गों का आशीर्वाद लिया। हरतालिका तीज पर व्रती महिलाओं ने गंगा घाट, ताड़ीघाट, भगीरथपुर, मलसा, मतसा आदि गंगा घाट पर पहुंचकर भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा की।