फिर से कटान शुरू, आठ बिस्वा भूमि समाहित
गाजीपुर : गंगा नदी के जलस्तर पर बाढ़ प्रभावित इलाकों के लोगों की नजर गड़ी हुई है। लेकिन करंडा में शनिवार को कुल आठ बिस्वा भूमि गंगा की धारा में समाहित हो गईं। इससे पीड़ितों में दहशत बढ़ गई है। पड़ोसी जनपदों और दूसरे प्रांतों में बाढ़ की चल रही विनाश लीला की खबरें लोगों को विचलित कर रही हैं। हालांकि जनपद की मुख्य नदी गंगा और सहायक नदियां अभी शांत हैं। गंगा के जलस्तर में कुछ दिनों से हो रहे धीमा बढ़ाव पर भी शनिवार की सुबह से ब्रेक लग गया। इससे पहले गंगा में बढ़ाव की रफ्तार प्रतिघंटे आधा सेंटीमीटर था। सुबह आठ बजे गंगा का जलस्तर 57.90 मीटर रिकार्ड किया गया। जनपद में गंगा नदी में खतरे का निशान 63.105 मीटर पर है। गंगा की सहायक नदी गोमती, बेसो, कर्मनाशा, मंगई आदि में भी पानी है लेकिन बाढ़ की स्थिति नहीं है। बाढ़ से बचाव के लिए एनडीआरएफ की ओर से बाढ़ प्रभावित सभी तहसीलों में प्रशिक्षण का कार्य कराया जा चुका है। केंद्रीय जल आयोग के कर्मचारी हसनैन ने बताया कि अभी गंगा में बाढ़ को लेकर ¨चतित होने की कोई जरूरत नहीं है। आयोग के कर्मचारी हर घंटे जलस्तर पर नजर रखे हुए हैं।
प्रशासनिक उदासीनता को लेकर आक्रोश
करंडा : कटान प्रभावित क्षेत्र में दुश्वारियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। चंद दिन की राहत के बाद एक बार फिर से कटान का सिलसिला शुरू हो गया। इससे उन किसानों की नींद उड़ी हुई है जिनकी भूमि पर अब खतरा मंडरा रहा है।
दरअसल, करंडा के कई गांव पिछले कई दशक से कटान से प्रभावित हैं। क्षेत्र अन्तर्गत ग्राम सभा बयेपुर, सोकनी, बड़हरियां, कसेरा और रफीपुर में चार दिन सकुशल बीतने के बाद एक बार फिर आफत सी आ गई। शुक्रवार की रात्रि से शनिवार की सुबह तक रफीपुर निवासी नर्वदेश्वर यादव, नरेंद्र यादव, रामअवतार ¨सह, राधेश्याम ¨सह, रमन ¨सह आदी की आठ बिस्वा भूमि धारा मेंसमाहित हो गई।
यह उपाय हो तो बच जाती जमीन
तीन वर्ष पहले पुरैना के सामने 600 मीटर की बोल्ड¨रग एवं पिचींग का कार्य करा दिया गया था जिससे वहां कटान पूरी तरह से रुकी हुई है। यदि पुरैना पंप कैनाल से लेकर पूजन बाबा के मंदिर तक लगभग 2200 मीटर का बोल्ड¨रग एवं पिचींग का कार्य करा दिया जाता तो कटान का स्थाई निदान भी हो जाता। किसानों की जमीन भी बच जाती। शासन द्वारा 37 करोड़ 50 लाख रुपये का स्टीमेट बनाकर शासन को भेज दिया है मगर अभी तक आश्वासन ही मिला है।
अब बहुत हो चुका। लालीपाप से काम नहीं चलेगा। इस बार यदि समय से कटान रोकने हेतु कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए तो हम लोग लगातार धरना-प्रदर्शन करने के साथ चक्का जाम भी करेंगे।
प्रशासनिक उदासीनता को लेकर आक्रोश
करंडा : कटान प्रभावित क्षेत्र में दुश्वारियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। चंद दिन की राहत के बाद एक बार फिर से कटान का सिलसिला शुरू हो गया। इससे उन किसानों की नींद उड़ी हुई है जिनकी भूमि पर अब खतरा मंडरा रहा है।
दरअसल, करंडा के कई गांव पिछले कई दशक से कटान से प्रभावित हैं। क्षेत्र अन्तर्गत ग्राम सभा बयेपुर, सोकनी, बड़हरियां, कसेरा और रफीपुर में चार दिन सकुशल बीतने के बाद एक बार फिर आफत सी आ गई। शुक्रवार की रात्रि से शनिवार की सुबह तक रफीपुर निवासी नर्वदेश्वर यादव, नरेंद्र यादव, रामअवतार ¨सह, राधेश्याम ¨सह, रमन ¨सह आदी की आठ बिस्वा भूमि धारा मेंसमाहित हो गई।
यह उपाय हो तो बच जाती जमीन
तीन वर्ष पहले पुरैना के सामने 600 मीटर की बोल्ड¨रग एवं पिचींग का कार्य करा दिया गया था जिससे वहां कटान पूरी तरह से रुकी हुई है। यदि पुरैना पंप कैनाल से लेकर पूजन बाबा के मंदिर तक लगभग 2200 मीटर का बोल्ड¨रग एवं पिचींग का कार्य करा दिया जाता तो कटान का स्थाई निदान भी हो जाता। किसानों की जमीन भी बच जाती। शासन द्वारा 37 करोड़ 50 लाख रुपये का स्टीमेट बनाकर शासन को भेज दिया है मगर अभी तक आश्वासन ही मिला है।
अब बहुत हो चुका। लालीपाप से काम नहीं चलेगा। इस बार यदि समय से कटान रोकने हेतु कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए तो हम लोग लगातार धरना-प्रदर्शन करने के साथ चक्का जाम भी करेंगे।